अमेरिका ने 9 लाख प्रवासियों का वर्क परमिट रद्द किया, बाइडन प्रशासन की नीति पर संकट
अमेरिका ने 9 लाख प्रवासियों के वर्क परमिट रद्द कर दिए हैं और उन्हें 90 दिन में देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। जानिए कोर्ट के फैसले, राजनीतिक दबाव और बाइडन प्रशासन की नीति पर इसका क्या असर पड़ेगा।

अमेरिका ने 9 लाख प्रवासियों का परमिट रद्द किया, तत्काल देश छोड़ने का आदेश; बाइडन प्रशासन की राहत नीति पर संकट
अमेरिका, जो दुनिया भर के लोगों के लिए सपनों की धरती मानी जाती है, ने हाल ही में एक चौंकाने वाला कदम उठाया है। 9 लाख प्रवासियों के वर्क परमिट रद्द कर दिए गए हैं और उन्हें तत्काल देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। यह फैसला न सिर्फ अमेरिका में रह रहे प्रवासियों के लिए, बल्कि पूरी वैश्विक आप्रवासी व्यवस्था के लिए बड़ा झटका है।
जहां बाइडन प्रशासन ने इन प्रवासियों को कोविड महामारी के बाद राहत देने के उद्देश्य से यह अस्थायी परमिट जारी किए थे, वहीं अब कोर्ट के फैसले और राजनीतिक दबाव के चलते यह राहत नीति खत्म हो रही है।
क्या है पूरा मामला?
2021 में जब जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की सख्त आप्रवासन नीति को नरम करते हुए, "Temporary Protected Status (TPS)" और "Parole" जैसे प्रावधानों के तहत लाखों प्रवासियों को अमेरिका में रहने और काम करने की अनुमति दी।
इनमें अधिकतर वे लोग थे जो:
- युद्ध या हिंसा प्रभावित देशों से आए थे
- प्राकृतिक आपदाओं के कारण अपने देश लौटने में असमर्थ थे
- अमेरिका में पहले से रह रहे थे लेकिन कानूनी स्टेटस नहीं था
लेकिन अब अमेरिकी न्याय विभाग और होमलैंड सिक्योरिटी ने यह साफ कर दिया है कि इन प्रवासियों को जारी वर्क परमिट अवैध करार दिए गए हैं, और उन्हें 90 दिनों के भीतर देश छोड़ना होगा।
किसे मिलेगा सबसे बड़ा असर?
इन 9 लाख प्रवासियों में से अधिकांश लैटिन अमेरिका, हैती, वेनेजुएला, क्यूबा, नाइजीरिया, और अफगानिस्तान जैसे देशों से हैं। इनमें से बहुत से लोगों ने अमेरिका में:
- रोजगार शुरू किया
- घर किराए पर लिए
- बच्चों को स्कूलों में दाखिल कराया
- स्थानीय जीवन में खुद को ढाल लिया
अब अचानक इस फैसले से उनके लिए वापस लौटना न केवल भावनात्मक रूप से कठिन है, बल्कि आर्थिक रूप से भी असंभव के करीब है।
कोर्ट के फैसले की भूमिका
हाल ही में अमेरिका की एक संघीय अदालत ने बाइडन प्रशासन की "पैरोल + वर्क परमिट" नीति को कानून विरोधी ठहराते हुए कहा कि यह कांग्रेस की मंजूरी के बिना प्रवासियों को दी गई सुविधा है, और यह इमिग्रेशन एक्ट का उल्लंघन करती है।
इस फैसले के बाद बाइडन सरकार को मजबूरी में उन परमिट को रद्द करना पड़ा।
राजनीतिक दृष्टिकोण से क्या है असर?
2024 के राष्ट्रपति चुनाव नजदीक हैं और आप्रवासन एक प्रमुख मुद्दा बन चुका है। रिपब्लिकन पार्टी और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार बाइडन प्रशासन को 'नरम और कमजोर आप्रवासन नीति' के लिए निशाना बना रहे हैं।
इस फैसले को कई लोग मान रहे हैं कि यह:
- चुनाव पूर्व दबाव में लिया गया कदम है
- मध्यमार्गी वोटर्स को लुभाने की रणनीति है
- और सीमा सुरक्षा पर कड़ा संदेश देने का प्रयास है
वैश्विक दृष्टिकोण से क्या है चिंता?
- प्रवासी संकट बढ़ेगा – कई देशों में अब अचानक हजारों लोग लौटेंगे, जिनके पास रोज़गार या आवास की व्यवस्था नहीं है।
- मानवाधिकार पर सवाल – कई एनजीओ और मानवाधिकार संगठन इस फैसले को "अन्यायपूर्ण और अमानवीय" बता रहे हैं।
- अमेरिका की वैश्विक छवि प्रभावित – अमेरिका को "प्रवासन के प्रति सहानुभूति रखने वाला देश" माना जाता रहा है, लेकिन ऐसे फैसले उस छवि को धूमिल करते हैं।
प्रवासी परिवारों की स्थिति
इस फैसले से सबसे ज़्यादा प्रभावित वे लोग हैं जो पूरा परिवार लेकर अमेरिका में बस चुके थे। इनमें से कई बच्चों का जन्म अमेरिका में हुआ है, जो अमेरिकी नागरिक हैं। अब सवाल उठता है:
- क्या बच्चों को माता-पिता के साथ भेजा जाएगा?
- या माता-पिता जाएंगे और बच्चे वहीं रहेंगे?
यह भावनात्मक रूप से तोड़ देने वाली स्थिति है।
सरकार क्या कह रही है?
बाइडन प्रशासन का कहना है कि:
- यह फैसला न्यायपालिका के आदेश के तहत लिया गया है
- सरकार प्रभावित प्रवासियों को कानूनी मदद और परामर्श उपलब्ध करवा रही है
- कुछ "अत्यधिक जरूरतमंद" मामलों में मानवीय आधार पर अलग से राहत दी जा सकती है
लोगों की प्रतिक्रिया
प्रवासियों में भारी नाराजगी है। अमेरिका के कई राज्यों में प्रदर्शन हो रहे हैं और स्थानीय प्रशासन से भी इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की जा रही है।
कुछ प्रतिक्रियाएं:
"हमने यहां अपने बच्चों का भविष्य देखा था, अब हमें सब छोड़कर जाना होगा।"
– वेनेजुएला की एक प्रवासी महिला
"यह फैसला हमारे साथ धोखा है।"
– नाइजीरिया से आए एक प्रवासी
निष्कर्ष: क्या है आगे का रास्ता?
यह फैसला प्रवासियों के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन इसका असर केवल अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा। इससे कई देशों में आर्थिक और सामाजिक असंतुलन बढ़ेगा।
राजनीतिक रूप से भी यह फैसला आने वाले चुनावों में बाइडन के लिए दोधारी तलवार साबित हो सकता है। एक तरफ वे नियमों का पालन कर रहे हैं, दूसरी तरफ लाखों लोगों का भविष्य दांव पर है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बाइडन प्रशासन कोई स्थायी समाधान पेश कर पाता है या नहीं।
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