शनि चालीसा : Powerful Hymn to Appease Shani Dev and Remove Saturn's Ill Effects

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शनि चालीसा :  Powerful Hymn to Appease Shani Dev and Remove Saturn's Ill Effects

 

???? शनि चालीसा

॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्या दास तुम, देहु अभय वरदान॥

॥चालीसा॥
जय जय जय श्री शनिदेव दयाला।
करहु कृपा मम संकट टाला॥
जन्म कष्ट मम दूर करौ जी।
कुटुम्ब सहित सुख संपत्ति भरौ जी॥

दीनन के तुम हो रखवारे।
दुखियों के तुम हो उबारे॥
नीलाम्बर धार काले तन भारी।
ब्रह्माण्ड में नाम तुम्हारा उजियारी॥

शिव के प्रिय अति भक्त तुम्हारे।
चरणों में शीश धरें सब न्यारे॥
कृपा दृष्टि जब हो तुम्हारी।
सकल विपत्ति दूर हो सारी॥

काटे जन्म जन्मांतर का लेखा।
कष्ट हो दूर मिलै सुख रेखा॥
जो भी तुम्हें ध्यान लगायें।
कभी दुःख ना जीवन में पायें॥

रवि पुत्र तुम कहलावे।
ग्रहों में श्रेष्ठ स्थान पावे॥
न्यायकारी नाम तुम्हारा।
कर्मों का फल देने वाला सारा॥

कुंडली में जब दृष्टि तुम्हारी।
हो जाती है दशा विकारी॥
साढ़ेसाती, ढैय्या भारी।
जन जन की सुधि ना उबारी॥

पर जो सच्चे मन से ध्याये।
व्रत उपवास नियम अपनाये॥
तेल तिल से पूजा करै।
दीप शनि को सदा धरै॥

शनि वार को दान करै।
पीड़ित जन को मान करै॥
अन्न, वस्त्र दवा कर दान।
करे शनि देव कृपा महान॥

नर नारी जो शरण तुम्हारी।
दुख की छाया न आवे भारी॥
भूत प्रेत बाधा हट जावे।
चिंता भय मिट दूर सिधावे॥

शनि चालीसा जो कोई गावे।
मन वांछित फल वह पावे॥
समाप्त करे जो भक्त पुरान।
हो शनि देव सदा कृपानिधान॥

॥दोहा॥
जो पढ़े शनि चालीसा, हो मनोकामना पूर्ण।
कृपा करे शनिराज जब, मिटे दुखों का शून्य॥


 विशेष जानकारी:

  • पाठ का समय: शनिवार को सूर्योदय या सूर्यास्त के समय, विशेषकर शनि मंदिर में या शमी वृक्ष के नीचे करें।
  • सामग्री: सरसों का तेल, काले तिल, नीले फूल, दीपक, शमी पत्र।
  • व्रत के साथ पढ़ना: यदि आप शनिवार का व्रत रखते हैं, तो चालीसा पाठ अवश्य करें।

 

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