RRB Exam 2025: विरोध के बाद रेलवे ने लिया अहम फैसला, अब अभ्यर्थियों को धार्मिक प्रतीकों को हटाने की जरूरत नहीं
RRB Exam 2025: रेलवे ने छात्रों के विरोध के बाद धार्मिक प्रतीक हटाने की अनिवार्यता खत्म कर दी है। जानिए नियमों में हुए बदलाव।

रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) ने 2025 में आयोजित होने वाली परीक्षाओं को लेकर एक बड़ा और अभूतपूर्व निर्णय लिया है।
हाल ही में देशभर में छात्रों और सामाजिक संगठनों द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बाद, रेलवे ने यह स्पष्ट किया है कि अब परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्रों पर अपने धार्मिक प्रतीक (जैसे पगड़ी, तिलक, हिजाब, रुद्राक्ष माला आदि) हटाने की आवश्यकता नहीं होगी।
यह फैसला न केवल छात्रों की धार्मिक स्वतंत्रता को सुरक्षित रखता है, बल्कि भारत के विविध और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने का भी सम्मान करता है।
फैसले की पृष्ठभूमि
RRB द्वारा पहले जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया था कि परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार का धार्मिक प्रतीक, गहने, या विशेष पोशाक को हटाना अनिवार्य होगा।
इस निर्देश के खिलाफ विभिन्न राज्यों में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए, जिसमें कहा गया कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
मुख्य आपत्तियाँ:
- धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचना
- संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता का हनन
- अभ्यर्थियों को मानसिक असुविधा होना
इन विरोधों को देखते हुए रेलवे मंत्रालय ने स्थिति का संज्ञान लिया और नीति में बदलाव का निर्णय लिया।
रेलवे मंत्रालय का आधिकारिक बयान
रेलवे मंत्रालय ने अपने आधिकारिक प्रेस नोट में कहा:
"परीक्षा केंद्रों पर अभ्यर्थियों को अपनी धार्मिक पहचान बनाए रखने की स्वतंत्रता होगी। सुरक्षा जांच प्रक्रिया के दौरान यदि आवश्यक हो, तो केवल शिष्टाचार के साथ सत्यापन किया जाएगा।"
इस बयान के बाद लाखों अभ्यर्थियों में राहत की भावना देखी गई।
नए दिशानिर्देश क्या हैं?
1. धार्मिक प्रतीकों को हटाने की जरूरत नहीं।
2. सुरक्षा जांच होगी लेकिन धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं।
3. सभी उम्मीदवारों को समान रूप से सम्मानपूर्वक जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा।
4. यदि कोई वस्तु सुरक्षा के लिहाज से संदिग्ध पाई जाती है, तो विनम्रतापूर्वक स्पष्टीकरण माँगा जाएगा।
छात्रों की प्रतिक्रियाएँ
फैसले के बाद विभिन्न राज्यों से छात्रों की प्रतिक्रियाएँ सामने आईं:
- पंजाब के एक छात्र ने कहा, "अब हम गर्व से अपनी धार्मिक पहचान के साथ परीक्षा दे सकते हैं।"
- कर्नाटक से एक अभ्यर्थी ने बताया, "रेलवे का यह फैसला स्वागत योग्य है। इससे हमारे आत्मसम्मान की रक्षा हुई है।"
- दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक पूर्व छात्र ने ट्वीट किया, "भारतीय संविधान की सच्ची जीत है यह।"
धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकार
भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म के पालन और अभिव्यक्ति का अधिकार देता है।
अनुच्छेद 25 से 28 के तहत हर व्यक्ति को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का संरक्षण प्राप्त है।
रेलवे द्वारा लिया गया यह निर्णय संविधान की इन धाराओं का सम्मान करता है और 'एकता में विविधता' के सिद्धांत को और मजबूत बनाता है।
पहले के नियमों से अब तक का बदलाव
पहलू |
पुराने नियम |
नए नियम (2025) |
धार्मिक प्रतीक |
हटाने अनिवार्य |
हटाना नहीं पड़ेगा |
सुरक्षा जांच |
कड़ी और सख्त |
विनम्र और संवेदनशील |
छात्रों की सुविधा |
कम |
बेहतर |
आगे की राह
रेलवे भर्ती बोर्ड ने यह भी कहा है कि भविष्य में सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए दिशा-निर्देश तैयार करते समय छात्रों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
इसके अलावा, अन्य सरकारी एजेंसियों को भी सलाह दी गई है कि वे परीक्षा प्रक्रियाओं में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का पालन करें।
अभ्यर्थियों के लिए सलाह
- परीक्षा केंद्र पर समय से पहले पहुँचें ताकि सुरक्षा जांच सुचारु रूप से हो सके।
- धार्मिक प्रतीक पहनते समय सुनिश्चित करें कि वे सामान्य सुरक्षा मापदंडों में बाधक न हों।
- किसी भी विवाद की स्थिति में शांतिपूर्वक परीक्षा अधिकारियों से बातचीत करें।
- सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाओं से बचें और केवल आधिकारिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें।
रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) का यह निर्णय छात्रों के आत्मसम्मान, धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है।
अब लाखों अभ्यर्थी अपनी पहचान के साथ गर्व से परीक्षा दे सकेंगे, बिना किसी डर या असुविधा के।
यह न सिर्फ एक नीति में बदलाव है, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों का भी एक मजबूत उदाहरण है।
भविष्य में भी उम्मीद की जा सकती है कि ऐसी नीतियाँ बनाई जाएँगी जो हर नागरिक की गरिमा को बनाए रखेंगी।
Disclaimer (Hindi)
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। परीक्षा से संबंधित किसी भी आधिकारिक अपडेट के लिए कृपया रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) की आधिकारिक वेबसाइट या नोटिफिकेशन देखें। किसी भी व्यक्तिगत निर्णय से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।
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