Phule Controversy: ‘फुले’ की रिलीज़ पर रोक से नाराज़ अनुराग कश्यप, सरकार और सेंसर बोर्ड को घेरा
फुले’ फिल्म की रिलीज पर रोक लगने से फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने जताई नाराज़गी। सेंसर बोर्ड और सरकार पर लगाया विचारों को दबाने का आरोप। जानिए पूरा मामला।

Phule Controversy: ‘फुले’ की रिलीज पर रोक लगने से निराश अनुराग कश्यप, सरकार और सेंसर बोर्ड पर साधा निशाना
बॉलीवुड निर्देशक अनुराग कश्यप ने एक बार फिर अपनी स्पष्टवादी शैली में सरकार और सेंसर बोर्ड पर तीखा हमला बोला है। इस बार मामला जुड़ा है बहुप्रतीक्षित फिल्म 'फुले' से, जिसकी रिलीज पर अचानक रोक लगने से फिल्म इंडस्ट्री में हलचल मच गई है। यह फिल्म भारतीय समाज सुधारक ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है और इसे लेकर दर्शकों में काफी उत्साह था।
क्या है ‘फुले’ फिल्म की कहानी?
'फुले' फिल्म का निर्देशन आनंद गांधी ने किया है और इसमें प्रतीक गांधी और पत्रलेखा मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म भारत के दो सबसे महान सामाजिक क्रांतिकारियों — महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले — की जीवनगाथा को दर्शाती है। इन दोनों ने 19वीं सदी में जातिवाद, महिला शिक्षा और सामाजिक असमानता के खिलाफ एक क्रांतिकारी आंदोलन चलाया था।
फिल्म के ट्रेलर ने पहले ही दर्शकों और समीक्षकों से सराहना प्राप्त की थी। लेकिन अब इसकी रिलीज पर रोक लगने से यह प्रोजेक्ट विवादों में आ गया है।
अनुराग कश्यप का गुस्सा: “ये सेंसर नहीं, सेंसरशिप है!”
फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप, जो हमेशा स्वतंत्र विचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी के पक्षधर रहे हैं, ने 'फुले' फिल्म की रिलीज पर रोक लगाए जाने को लेकर अपनी नाराज़गी जाहिर की है।
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा:
“सेंसर बोर्ड अब सिर्फ फिल्म नहीं देख रहा, विचारों को सेंसर कर रहा है। ‘फुले’ जैसी फिल्मों को रोकना देश के महान सुधारकों का अपमान है।”
अनुराग ने आगे कहा कि यह फिल्म समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य कर सकती थी, लेकिन राजनीतिक दबाव और विचारधारा के कारण इसे रोका गया है।
सेंसर बोर्ड ने क्या कहा?
सूत्रों के अनुसार, सेंसर बोर्ड (CBFC) ने फिल्म की कुछ विषयवस्तु पर आपत्ति जताई है, विशेषकर उन दृश्यों पर जो समाजिक और धार्मिक संरचनाओं पर सवाल उठाते हैं। बोर्ड ने निर्माताओं को कुछ बदलावों का सुझाव दिया है, लेकिन निर्माताओं का कहना है कि वे फिल्म के मूल विचार से समझौता नहीं कर सकते।
सीबीएफसी की प्रतिक्रिया में यह भी कहा गया कि:
"हम संवेदनशील विषयों पर बनी फिल्मों को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतते हैं ताकि कोई समुदाय आहत न हो।"
अनुराग कश्यप बनाम सेंसर बोर्ड – पुराना विवाद
यह पहली बार नहीं है जब अनुराग कश्यप सेंसरशिप के मुद्दे पर आवाज़ उठा रहे हैं। इससे पहले भी उनकी फिल्में जैसे 'ब्लैक फ्राइडे', 'पांच', 'उड़ता पंजाब' आदि को रिलीज से पहले सेंसर बोर्ड की कटौती और आपत्ति का सामना करना पड़ा है।
'उड़ता पंजाब' को लेकर तो उन्होंने कोर्ट तक का रुख किया था, जहां उन्हें आंशिक राहत मिली थी। अनुराग का मानना है कि भारतीय फिल्म उद्योग को रचनात्मक स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, न कि राजनीतिक और नैतिक पहरेदारी।
फिल्म इंडस्ट्री का मिला समर्थन
अनुराग कश्यप के बयान के बाद कई फिल्म निर्माताओं, लेखकों और कलाकारों ने उनका समर्थन किया है। सोशल मीडिया पर हैशटैग #ReleasePhuleFilm ट्रेंड करने लगा है।
स्वरा भास्कर, हंसल मेहता, ऋचा चड्ढा, और अन्य कलाकारों ने ट्वीट कर कहा कि 'फुले' जैसी फिल्मों को रोका जाना विचारों की हत्या है।
'फुले' को क्यों माना जा रहा है ज़रूरी?
1. इतिहास के नायकों को नई पीढ़ी से जोड़ने का प्रयास:
आज की पीढ़ी को फुले दंपत्ति के योगदान से परिचित कराना अत्यंत आवश्यक है।
2. सामाजिक चेतना को जाग्रत करने वाली फिल्म:
यह फिल्म जातिवाद, शिक्षा और स्त्री स्वतंत्रता जैसे मुद्दों को रेखांकित करती है।
3. ऐसे विषयों पर फिल्में कम बनती हैं:
मेनस्ट्रीम सिनेमा में इस तरह के विषयों पर बहुत कम प्रोजेक्ट्स देखने को मिलते हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
कुछ राजनीतिक नेताओं ने भी इस मामले में प्रतिक्रिया दी है। कुछ दलों ने फिल्म को तुरंत रिलीज़ करने की मांग की है, तो वहीं कुछ कट्टरपंथी संगठनों ने इसे "एकतरफा और भ्रामक" करार दिया है।
इस मुद्दे पर सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
‘फुले’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक विचार है — जो हमें याद दिलाता है कि समाज को बेहतर बनाने के लिए कभी-कभी सत्य को असुविधाजनक सवालों के माध्यम से सामने लाना पड़ता है। ऐसे में यदि ऐसी फिल्मों पर रोक लगाई जाती है, तो यह न सिर्फ अभिव्यक्ति की आज़ादी का हनन है, बल्कि भारतीय इतिहास और समाज सुधारकों के योगदान को भी दबाने की कोशिश है।
आने वाले समय में देखना यह होगा कि क्या सेंसर बोर्ड कोई समाधान निकालता है या यह फिल्म भी उन दुर्भाग्यपूर्ण प्रोजेक्ट्स में शामिल हो जाती है जिन्हें कभी दर्शक देख ही नहीं पाए।
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