पार्वती चालीसा | माँ पार्वती की कृपा पाने वाली चालीसा हिंदी में
पढ़िए माँ पार्वती की चालीसा और पाइए उनके आशीर्वाद से सुख, शांति और समृद्धि। पार्वती चालीसा का नियमित पाठ हर संकट को दूर करता है और भक्ति को प्रगाढ़ करता है।

(भक्ति भाव से पाठ करें)
॥ दोहा ॥
श्रीगणेश सिर नवयौं, करौं पार्वती ध्यान।
मातु कृपा करि राखिए, संकट मिटे महान॥
चौपाई
जय जगदम्बे जय शिवशंकरि।
भवभय हारिणि भवतारिणि॥
गिरिराजकुल जनमी भवानी।
सती रूप धरि शिव पहचानी॥
पूर्वजन्म की पुण्य कमाई।
पार्वती रूपे तू सुघराई॥
कैलाशपति तेरे वर राजे।
विवाह उत्सव सकल समाजे॥
रूप तेरो मन मोहक भारी।
शिव भी भावे रूप तुम्हारी॥
गजमुख विघ्नहर्ता पुत्रा।
कार्तिक शुभ सेनापति युत॥
त्रिदेव भी करें वंदना तेरी।
ब्रह्मा विष्णु शिव ध्यान घनेरी॥
दुर्गा, काली, शक्ति स्वरूपा।
नर-नारी की तू अधिष्ठाता॥
भक्त करे जो सुमिरन तेरा।
कभी न खाली झोली फेरा॥
अन्नपूर्णा रूप तुम्हारा।
भक्त रहे भूखा न तारा॥
तेरी महिमा अपार बताई।
शिव पुराण में कथा सुनाई॥
सिंह सवारी, चंद्रमाँ माथे।
शुभ और अशुभ तू ही बाँधे॥
महिषासुर मर्दिनी रूपा।
चंडी बनकर किया संहारा॥
शिव के बिना अधूरी न तू।
शिव भी कहें शक्ति है तू॥
तेरे नाम से हो कल्याण।
भवसागर से पाएं त्राण॥
नवदुर्गा का रूप तू धारी।
हर दिन नई लीला न्यारी॥
चंडी, कात्यायनी, भैरवी माता।
त्रिलोकी में तू विख्याता॥
भक्ति करे जो मन से प्यारा।
माँ तू उसका हो सहारा॥
करुणा सागर, दया की खान।
तेरे चरणों में है विश्राम॥
संकट मोचन, भव भय हारो।
मातु हमें निज चरण में धारो॥
अंत समय जब तन छोड़ूं।
तब तू ही मेरे साथ हो॥
॥ दोहा ॥
पार्वती चालीसा जो, नित करे मन लाय।
मातु कृपा करि राखिए, भवसागर तर जाय॥