Parshuram Jayanti 2025: परशुराम जी की पूजा में जरूर करें ये आरती और स्तुति, मिलेगा आशीर्वाद

परशुराम जयंती 2025 पर कैसे करें भगवान परशुराम की विधिपूर्वक पूजा? जानिए जरूरी आरती, स्तुति और पूजन विधि, ताकि आपको प्राप्त हो भगवान का आशीर्वाद।

Parshuram Jayanti 2025: परशुराम जी की पूजा में जरूर करें ये आरती और स्तुति, मिलेगा आशीर्वाद

भारत की सनातन परंपरा में भगवान परशुराम को विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजा जाता है। परशुराम जयंती हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। 2025 में यह पावन पर्व 1 मई 2025 (गुरुवार) को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान परशुराम की विधिवत पूजा, व्रत और आराधना करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि परशुराम जयंती पर किस प्रकार पूजा करें, कौन-सी आरती और स्तुति अवश्य करनी चाहिए ताकि भगवान परशुराम का आशीर्वाद प्राप्त हो।


परशुराम जयंती 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तिथि: 1 मई 2025 (गुरुवार)
  • तृतीया तिथि प्रारंभ: 30 अप्रैल 2025 रात 11:20 बजे से
  • तृतीया तिथि समाप्त: 1 मई 2025 रात 9:35 बजे तक
  • पूजा मुहूर्त: 1 मई को प्रातःकाल (5:30 AM से 7:30 AM के बीच) करना विशेष शुभ रहेगा।

भगवान परशुराम का महत्व

परशुराम जी को 'अद्भुत योद्धा', 'धरती के न्यायकारी' और 'धर्म के रक्षक' के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अन्याय, अत्याचार और अधर्म के खिलाफ कई युद्ध लड़े। उनका फरसा (परशु) धर्म के मार्ग पर चलने वालों के लिए शक्ति का प्रतीक है।
मान्यता है कि भगवान परशुराम आज भी जीवित हैं और भविष्य में कल्कि अवतार के गुरु बनेंगे।


परशुराम जयंती 2025: पूजा विधि

1.    स्नान और संकल्प: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत एवं पूजा का संकल्प लें।

2.    व्रत का पालन: दिनभर उपवास रखें और सात्विक आहार लें।

3.    भगवान परशुराम की मूर्ति या चित्र का पूजन: उन्हें पीले पुष्प, चंदन, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।

4.    परशुराम मंत्र का जाप: "ॐ परशुरामाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।

5.    आरती और स्तुति का पाठ: विशेष रूप से परशुराम जी की आरती और स्तुति पढ़ना अत्यंत शुभ माना जाता है।


परशुराम जी की विशेष आरती

आरती: जय जय परशुराम प्रभु

जय जय परशुराम प्रभु, जयति जय कार।
भव-भय विनाशक, त्राण करो संसार।।

कर में परशु धारण, ह्रदय धरो विश्वास।
दुष्टों का संहार करो, रक्षा करो निष्कास।।

त्रेता द्वापर और कलियुग, तीनों में प्रभाव।
परशुराम भगवान का, होवे सदा प्रभाव।।

भक्त वत्सल, कृपा निधान, रक्षा करो हमारी।
जय जय परशुराम प्रभु, स्वीकारो विनती हमारी।।

आरती करने के बाद दीपक की परिक्रमा तीन बार अवश्य करें।


परशुराम जी की स्तुति

स्तुति: परशुराम स्तुति

हे परशुराम, महासंकट हारक,
भवसागर के जीवन तारक।
धरती पर धर्म की रक्षा करने वाले,
पापियों का विनाश रचाने वाले।

परशु धारी, तेजस्वी रूप,
भय मिटाओ, दो अनुपम भूप।
शरणागत की लाज बचाते,
भक्तों के कष्ट हरते आते।

हे प्रभु! कर दो मुझ पर कृपा अपार,
भव बंधन से कर दो उधार।
परशुराम प्रभु! संकट हरना,
भक्तों का सदा उद्धार करना।।


व्रत कथा का संक्षिप्त वर्णन

मान्यता है कि सहस्रार्जुन नामक क्षत्रिय राजा ने भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि का अपमान किया था। क्रोधित होकर परशुराम जी ने क्षत्रिय जाति के अत्याचारी राजाओं का 21 बार संहार किया और धरती को पुनः धर्मयुक्त बनाया। इस घटना से परशुराम जी का व्यक्तित्व धर्म, न्याय और वीरता का प्रतीक बन गया।


परशुराम मंत्र जाप का महत्व

  • ॐ परशुरामाय नमःइस बीज मंत्र का 108 बार जाप करने से कार्यों में सफलता मिलती है।
  • ॐ श्री जमदग्निनयुताय नमःइस मंत्र का जाप शत्रुओं के भय से मुक्ति दिलाता है।
  • पूजा के समय मंत्रों का उच्चारण शुद्ध भाव और श्रद्धा से करें ताकि उसका पूर्ण लाभ मिल सके।

परशुराम जयंती के दिन क्या करें और क्या न करें?

क्या करें:

  • ब्रह्मचर्य और व्रत का पालन करें।
  • परशुराम मंदिर में दर्शन करें या घर में पूजा करें।
  • गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन एवं वस्त्र का दान करें।

क्या न करें:

  • मांसाहार, मद्यपान और तामसिक भोजन से बचें।
  • झूठ, कलह, और वाद-विवाद से दूर रहें।
  • अपवित्र वस्त्र पहनकर पूजा न करें।

परशुराम जयंती से जुड़े रोचक तथ्य

  • भगवान परशुराम को आयुर्वेद और शस्त्रविद्या का महान ज्ञाता भी माना जाता है।
  • वे 64 कलाओं में निपुण थे।
  • उनका फरसा, जो शिवजी से प्राप्त हुआ था, अमोघ (अर्थात अचूक) माना जाता है।

 परशुराम जयंती 2025 पूजा विधि चार्ट

चरण संख्या

पूजा प्रक्रिया

विवरण

1️

प्रातःकाल स्नान और संकल्प

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

2️

पूजास्थल की शुद्धि

गंगाजल से पूजा स्थल शुद्ध करें।

3️

भगवान परशुराम का आवाहन

दीप, धूप और पुष्प से भगवान परशुराम का आवाहन करें।

4️

पंचोपचार पूजा

जल, चंदन, अक्षत, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।

5️

विशेष मंत्र जाप

"ॐ परशुरामाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।

6️

आरती गायन

"जय जय परशुराम प्रभु" आरती का श्रद्धा से पाठ करें।

7️

परशुराम स्तुति का पाठ

विशेष स्तुति का उच्चारण कर भगवान का गुणगान करें।

8️

प्रसाद वितरण

नैवेद्य अर्पण के बाद प्रसाद वितरण करें।

9️

दान-पुण्य

निर्धनों और ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र का दान करें।

10

व्रत पूर्ण

संध्या समय भगवान का ध्यान कर व्रत पूर्ण करें।

·       

·        नोट: पूजा करते समय स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मन को एकाग्र रखें।
सुझाव: यदि संभव हो तो परशुराम कथा का पाठ अथवा श्रवण भी करें।

 


परशुराम जयंती केवल एक पर्व नहीं है, यह धर्म, न्याय और वीरता की भावना का उत्सव है। इस दिन सच्चे मन से भगवान परशुराम की पूजा, व्रत, आरती और स्तुति करने से समस्त दुखों का नाश होता है और जीवन में सफलता मिलती है।
2025
की परशुराम जयंती पर आप भी इन विशेष आरती और स्तुति का पाठ करें और भगवान परशुराम का आशीर्वाद प्राप्त करें।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी प्रदान करना है। किसी भी विशेष पूजा विधि को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ या आचार्य से परामर्श अवश्य करें।

 

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