पराली से बनेगा 2G एथनॉल, फसलों के अवशेष बेच कर भी किसान कर सकेंगे कमाई
अब पराली से बनेगा 2G एथनॉल! फसलों के अवशेष बेचकर किसान कमा सकेंगे पैसा। जानिए इस योजना के फायदे, प्लांट्स की जानकारी और सरकारी प्रोत्साहन की पूरी डिटेल।

पराली से बनेगा 2जी एथनॉल, फसलों के अवशेष बेच कर भी किसान कर सकेंगे कमाई
अब पराली जलाना नहीं, बेचना होगा फायदेमंद! भारत सरकार और विभिन्न निजी कंपनियों की नई पहल के तहत पराली और अन्य कृषि अवशेषों से अब 2G (सेकेंड जेनरेशन) एथनॉल तैयार किया जाएगा। इससे न केवल किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी, बल्कि प्रदूषण की समस्या का भी समाधान निकलेगा।
क्या है 2G एथनॉल?
2G एथनॉल, यानी सेकेंड जनरेशन एथनॉल, बायोमास जैसे कि फसल अवशेष (पराली, गन्ने की खोई, गेहूं-धान की भूसी आदि) से तैयार किया जाता है। यह पेट्रोल का एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है और इससे ग्रीनहाउस गैसों में भी कमी आती है।
किसानों के लिए कैसे फायदेमंद?
पराली जलाने की जरूरत नहीं
अब किसान अपनी फसल कटाई के बाद बची हुई पराली को बर्बाद करने की बजाय इसे कंपनियों या संयंत्रों को बेच सकते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी होगी।
प्रदूषण से राहत
हर साल उत्तर भारत में पराली जलाने से गंभीर वायु प्रदूषण होता है। इस तकनीक से वो समस्या भी कम होगी।
सरकारी सब्सिडी और प्रोत्साहन
सरकार द्वारा 2G एथनॉल प्लांट्स लगाने के लिए वित्तीय सहायता और सब्सिडी भी दी जा रही है।
कहां बन रहे हैं ऐसे प्लांट?
देश के कई राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 2G एथनॉल निर्माण के लिए संयंत्र बनाए जा रहे हैं। कुछ प्रमुख कंपनियां जैसे कि IOCL (इंडियन ऑयल), HPCL, और BPCL इसमें अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
फायदे एक नजर में
- किसान की आमदनी में वृद्धि
- पराली जलाने की प्रवृत्ति में गिरावट
- पर्यावरण की रक्षा
- स्वदेशी ईंधन उत्पादन को बढ़ावा
- ग्रामीण रोजगार के अवसरों में इजाफा
पराली अब किसानों के लिए सिरदर्द नहीं, बल्कि कमाई का जरिया बन रही है। 2G एथनॉल परियोजना ना केवल पर्यावरण के हित में है, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी मज़बूत करेगी। यह बदलाव भारत को "स्वच्छ और आत्मनिर्भर भारत" की ओर एक बड़ा कदम है।
What's Your Reaction?






