मौर्य काल: चंद्रगुप्त से अशोक तक भारत का स्वर्णिम इतिहास

जानिए मौर्य वंश के महान शासकों चंद्रगुप्त, बिंदुसार और सम्राट अशोक की कहानी। पढ़िए मौर्य काल की प्रशासनिक व्यवस्था, धर्म, संस्कृति, कला और अर्थव्यवस्था की विस्तृत जानकारी।

मौर्य काल: चंद्रगुप्त से अशोक तक भारत का स्वर्णिम इतिहास

भारतीय इतिहास में अनेक महान राजवंश हुए हैं, परंतु मौर्य वंश (Maurya Dynasty) की चर्चा आते ही एक संगठित, शक्तिशाली और प्रशासनिक दृष्टि से सुव्यवस्थित साम्राज्य की छवि उभरकर सामने आती है। मौर्य साम्राज्य न केवल भारत का पहला विशाल साम्राज्य था, बल्कि यह भारतीय उपमहाद्वीप के एकीकरण का भी प्रतीक बना। चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर सम्राट अशोक तक का यह काल अनेक दृष्टियों से ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण था।


 मौर्य वंश की स्थापना

मौर्य वंश की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने लगभग 322 ईसा पूर्व में की थी। इसके पीछे महान रणनीतिकार चाणक्य (कौटिल्य/विष्णुगुप्त) का बड़ा योगदान था। चंद्रगुप्त ने पहले नंद वंश को पराजित कर पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) को राजधानी बनाया और फिर अपने शासन का विस्तार अफगानिस्तान से बंगाल और कर्नाटक तक किया।


प्रमुख शासक

1. चंद्रगुप्त मौर्य (322–297 ई.पू.)

  • चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर को हराकर अफगान क्षेत्र जीत लिया।
  • उसने चाणक्य के मार्गदर्शन में प्रशासनिक व्यवस्था की नींव रखी।
  • अंतिम जीवन में जैन धर्म अपना लिया और श्रवणबेलगोला में संन्यास लिया।

2. बिंदुसार (297–273 ई.पू.)

  • चंद्रगुप्त के पुत्र और अशोक के पिता।
  • ग्रीक इतिहासकारों के अनुसार इन्हें "अमित्रघात" कहा गया।
  • बिंदुसार के समय मौर्य साम्राज्य दक्षिण भारत तक फैला।

3. सम्राट अशोक (273–232 ई.पू.)

  • मौर्य साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध और महान सम्राट।
  • कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया।
  • 'धम्म' की नीति द्वारा राज्य में नैतिकता और अहिंसा का प्रचार किया।
  • अशोक के शिलालेख आज भी भारत और नेपाल में पाए जाते हैं।

 मौर्य काल की प्रशासनिक व्यवस्था

मौर्य प्रशासन अत्यंत सुव्यवस्थित था, जिसका विस्तृत विवरण कौटिल्य के अर्थशास्त्र और मेगस्थनीज़ की इंडिका में मिलता है।

प्रशासनिक विशेषताएं:

  • राजा: सर्वोच्च सत्ता, परंतु सलाहकारों से मार्गदर्शन लेता था।
  • मंत्रिपरिषद: राजा को सलाह देने वाली संस्था।
  • महामात्र: विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारी।
  • जनपद व्यवस्था: साम्राज्य को कई प्रांतों में बांटा गया था।
  • गुप्तचर तंत्र: चाणक्य द्वारा विकसित गुप्तचरों का विशाल जाल।

 सेना और रक्षा व्यवस्था

  • मौर्य काल की सेना बहुत विशाल थी। इसमें पैदल सैनिक, घुड़सवार, हाथी और रथ शामिल थे।
  • छावनियाँ (cantonments) स्थापित थीं।
  • एक अलग युद्ध परिषद (War Council) होती थी जो सेना की रणनीति तय करती थी।

 आर्थिक और कर व्यवस्था

  • कृषि, पशुपालन और व्यापार आर्थिक आधार थे।
  • राज्य कर वसूलता था जैसे भूमि कर (भोग कर), जल कर, सिंधु कर आदि।
  • सिंचाई और कृषि सुधारों पर बल दिया गया।

 नगर योजना और वास्तुकला

  • राजधानी पाटलिपुत्र एक नियोजित और भव्य नगर था।
  • लकड़ी और ईंटों से बने भव्य भवन, सड़कों का जाल और नालियों की व्यवस्था थी।
  • अशोक के काल में स्तूप, शिलालेख, स्तंभों और गुफा मंदिरों का निर्माण हुआ।

 शिक्षा और साहित्य

  • तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों की नींव पड़ी।
  • संस्कृत और प्राकृत भाषाएं प्रमुख थीं।
  • अर्थशास्त्र, बौद्ध ग्रंथ, और जैन आगम इस काल की प्रमुख रचनाएं थीं।

 धर्म और संस्कृति

1. बौद्ध धर्म का प्रसार

  • सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को राजधर्म बनाया।
  • उसने श्रीलंका, म्यांमार, चीन आदि देशों में बौद्ध मिशनरियों को भेजा।

2. धम्म की नीति

  • यह नैतिक और सामाजिक आचरण पर आधारित थी।
  • इसमें सहिष्णुता, करुणा और अहिंसा जैसे मूल्यों का प्रचार हुआ।

मौर्य काल की प्रमुख विशेषताएं

क्षेत्र

विशेषताएं

प्रशासन

केंद्रीकृत, मंत्री मंडल, प्रांत व्यवस्था

धर्म

बौद्ध धर्म का विकास, धार्मिक सहिष्णुता

सेना

विशाल और संगठित सेना

कला

अशोक स्तंभ, साँची स्तूप, बाराबर गुफाएँ

अर्थव्यवस्था

कृषि, व्यापार, कर संग्रह की कुशल व्यवस्था


 प्रसिद्ध धरोहरें

  • साँची का स्तूप
  • अशोक स्तंभ (सारनाथ)
  • बाराबर की गुफाएं
  • अशोक के शिलालेख (लघु, दीर्घ और शिला-आदेश)

मौर्य काल भारतीय इतिहास का वह स्वर्णिम युग था जिसमें शासन, प्रशासन, धर्म, शिक्षा, और संस्कृति – सभी ने चरम उत्कर्ष प्राप्त किया। चंद्रगुप्त की राजनीतिक दूरदृष्टि, चाणक्य की नीति, और अशोक की धार्मिक सहिष्णुता – तीनों मिलकर मौर्य युग को महान बनाते हैं। आज भी मौर्य वंश की उपलब्धियां हमें प्रेरणा देती हैं कि संगठित शासन, नैतिकता और ज्ञान के बल पर एक समृद्ध और समरस समाज की रचना संभव है।

 

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