कामदा एकादशी 2025: व्रत कथा, महत्व और पूजन विधि
कामदा एकादशी 2025 की तिथि, पूजा विधि, पौराणिक कथा और इसके आध्यात्मिक लाभ जानिए। यह एकादशी मनोकामनाओं की पूर्ति और पापों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है।

कामदा एकादशी क्या है?
कामदा एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह वर्ष की पहली एकादशी होती है और इसका धार्मिक तथा आध्यात्मिक महत्व अत्यंत विशेष होता है।
कामदा एकादशी का महत्व:
- 'कामदा' का अर्थ है ‘इच्छाओं को पूर्ण करने वाली’।
- इस व्रत से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह एक प्रभावशाली एकादशी मानी जाती है।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी होती है।
पौराणिक कथा (व्रत कथा):
पुराणों के अनुसार रत्नपुर नगर में एक गंधर्व ललित अपनी पत्नी ललिता के साथ रहता था। गलती से राजा के दरबार में वह गलत सुर में गाने लगा, जिससे क्रोधित होकर राजा ने उसे राक्षस योनि का श्राप दे दिया।
ललिता ने ऋषि श्रृंगी से उपाय पूछा और उन्होंने कामदा एकादशी व्रत करने की सलाह दी। ललिता ने पूरे श्रद्धा से यह व्रत किया, जिससे उसके पति को श्राप से मुक्ति मिल गई।
कामदा एकादशी व्रत विधि:
पूर्व संध्या (दशमी):
- सात्विक भोजन करें और रात्रि को ब्रह्मचर्य का पालन करें।
एकादशी के दिन:
1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. भगवान विष्णु की पूजा करें – पीले फूल, तुलसी दल, दीप और भोग चढ़ाएं।
3. दिनभर व्रत रखें – फलाहार या निर्जल।
4. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
5. रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन करें।
द्वादशी के दिन:
- सूर्योदय के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान दें और व्रत का पारण करें।
कामदा एकादशी के लाभ:
- सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
- प्रेम और वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
- संतान सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- मानसिक शांति और इच्छाओं की पूर्ति होती है।
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