जलियांवाला बाग हत्याकांड की 106वीं बरसी: जब फिल्मों ने इतिहास के ज़ख्मों को जीवंत किया
13 अप्रैल 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड की 106वीं बरसी पर एक नज़र उन फिल्मों पर जिन्होंने इस ऐतिहासिक त्रासदी को पर्दे पर दिखाया। जानिए कैसे सिनेमा ने इतिहास के दर्द को जीवंत किया।

जलियांवाला बाग हत्याकांड की 106वीं बरसी: इन फिल्मों ने पर्दे पर दिखाया इतिहास का दर्द
13 अप्रैल 1919 — भारतीय इतिहास का वह काला दिन जिसे कोई भी देशभक्त भूल नहीं सकता। अमृतसर के जलियांवाला बाग में जनरल डायर के नेतृत्व में हुई नृशंस गोलीबारी में हजारों निर्दोष भारतीय मारे गए। यह हत्याकांड केवल एक घटना नहीं थी, बल्कि ब्रिटिश राज की क्रूरता और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की चेतना का निर्णायक मोड़ बन गया।
आज, 106 साल बाद भी यह त्रासदी हमारे दिलों में ज़िंदा है। इतिहास की किताबों से लेकर स्मारकों तक, जलियांवाला बाग की गूंज समय-समय पर सुनाई देती है। लेकिन सिनेमा — एक ऐसा माध्यम है जिसने इस पीड़ा को बड़े पर्दे पर जीवंत किया, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इसे महसूस कर सकें, समझ सकें और याद रख सकें।
आइए इस 106वीं बरसी पर एक नज़र डालते हैं उन फिल्मों पर जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड की कहानी को पर्दे पर उतारकर इतिहास के उस दर्द को जन-जन तक पहुँचाया।
1. गांधी (1982)
निर्देशक: रिचर्ड एटनबरो
भाषा: अंग्रेज़ी (हिंदी में डब की गई)
ऑस्कर विजेता फिल्म गांधी न केवल महात्मा गांधी के जीवन को दिखाती है, बल्कि इसमें जलियांवाला बाग हत्याकांड का भी सजीव चित्रण है। फिल्म में बेन किंग्सले द्वारा निभाया गया गांधी का किरदार जब इस नरसंहार की खबर पाता है, तो दर्शकों को वह पीड़ा महसूस होती है जो पूरे भारत ने उस दिन झेली थी। सैकड़ों निर्दोष लोगों की चीखें, भगदड़ और गोलीबारी का दृश्य दर्शकों को झकझोर कर रख देता है।
2. जलियांवाला बाग (1977)
निर्देशक: बलराज साहनी
भाषा: हिंदी
यह फिल्म पूरी तरह से जलियांवाला बाग हत्याकांड पर केंद्रित है। बलराज साहनी जैसे वरिष्ठ अभिनेता के साथ इस फिल्म ने ऐतिहासिक तथ्यों को भावनात्मक अभिव्यक्ति दी। फिल्म में आम जनता की बेबसी, ब्रिटिश हुकूमत की बेरहमी और उस दौर के सामाजिक परिदृश्य को बखूबी दिखाया गया है। यह उन फिल्मों में से एक है जिसने हत्याकांड को केंद्र में रखकर सच्चाई को उजागर किया।
3. द लेजेंड ऑफ भगत सिंह (2002)
निर्देशक: राजकुमार संतोषी
मुख्य भूमिका: अजय देवगन
हालाँकि यह फिल्म भगत सिंह के जीवन पर आधारित है, लेकिन इसमें जलियांवाला बाग कांड एक अहम मोड़ बनकर सामने आता है। फिल्म में दिखाया गया है कि भगत सिंह कैसे इस नरसंहार से प्रभावित हुए और उन्होंने अपने क्रांतिकारी सफर की शुरुआत की। अजय देवगन का दमदार अभिनय और ऐतिहासिक घटनाओं का सटीक चित्रण फिल्म को एक संवेदनशील आयाम देता है।
4. राँझणा (2013)
निर्देशक: आनंद एल. राय
हालाँकि यह फिल्म मुख्यतः एक प्रेम कहानी है, लेकिन इसका एक दृश्य जलियांवाला बाग को श्रद्धांजलि देता है। फिल्म में नायक का चरित्र वहाँ खड़ा होता है जहाँ कभी गोलियाँ चली थीं। यह एक प्रतीकात्मक दृश्य है जो दर्शाता है कि कैसे इतिहास आज भी वर्तमान को प्रभावित करता है।
5. सरदार उधम (2021)
निर्देशक: शूजित सरकार
मुख्य भूमिका: विक्की कौशल
हाल की सबसे प्रभावशाली फिल्मों में से एक सरदार उधम ने जलियांवाला बाग हत्याकांड को इतनी बारीकी और गहराई से दिखाया कि दर्शक सन्न रह गए। विक्की कौशल ने सरदार उधम सिंह का किरदार निभाकर यह दिखाया कि कैसे यह हत्याकांड एक नौजवान की चेतना को झकझोरता है और वह जनरल डायर को मारने के लिए इंग्लैंड तक पहुँचता है।
फिल्म का क्लाइमेक्स – जब जलियांवाला बाग में नरसंहार का दृश्य दिखाया जाता है – न केवल भयानक है, बल्कि फिल्मी इतिहास में एक उदाहरण बन चुका है। यह दृश्य दर्शाता है कि सिनेमा किस हद तक सच को सामने ला सकता है।
इतिहास को ज़िंदा रखना ज़रूरी है
इन फिल्मों ने इतिहास को सिर्फ दोहराया नहीं, बल्कि उसे जीवंत बनाया है। जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसी घटनाएँ केवल इतिहास के पन्नों में नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक चेतना में जीवित रहनी चाहिए। जब युवा पीढ़ी इन फिल्मों को देखती है, तो वह इतिहास से जुड़ती है — वह जानती है कि स्वतंत्रता कितनी भारी क़ीमत चुकाकर मिली।
समाप्ति विचार
106 साल बीत गए, लेकिन जलियांवाला बाग की चीखें आज भी हमारे भीतर गूंजती हैं। इन फिल्मों के माध्यम से हम न केवल अतीत को याद करते हैं, बल्कि वर्तमान और भविष्य को जागरूक भी बनाते हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम ऐसी घटनाओं को न भूलें और अगली पीढ़ियों तक सत्य और संवेदना की यह मशाल पहुँचाते रहें।
"जलियांवाला बाग न कभी भूला गया है, न कभी भूला जाएगा।"
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