हर हिल स्टेशन पर क्यों होती है 'मॉल रोड'? जानिए इसका इतिहास और दिलचस्प तथ्य

शिमला, मनाली, मसूरी जैसे हर हिल स्टेशन पर 'मॉल रोड' क्यों होती है? जानिए ब्रिटिश काल से जुड़ा इसका इतिहास, महत्व और आज की भूमिका। एक दिलचस्प ब्लॉग पढ़ें।

हर हिल स्टेशन पर क्यों होती है 'मॉल रोड'? जानिए इसका इतिहास और दिलचस्प तथ्य

 

कभी गौर किया है... शिमला, मनाली या मसूरी जैसे हर Hill Station पर क्यों होती है ‘मॉल रोड’?

जब भी आप शिमला, मनाली, मसूरी, नैनीताल या किसी अन्य हिल स्टेशन की यात्रा पर जाते हैं, एक नाम बार-बार सुनाई देता है – मॉल रोड। यह जगह हर हिल स्टेशन का दिल होती है, जहां लोग घूमते हैं, खरीदारी करते हैं, फोटो खिंचवाते हैं और स्थानीय संस्कृति का आनंद लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हर हिल स्टेशन पर ‘मॉल रोड’ ही क्यों होती है? इसका नाम 'मॉल' कैसे पड़ा और इसका इतिहास क्या है?

चलिए, जानते हैं मॉल रोड के इस रोचक इतिहास को...


मॉल रोड की शुरुआत: ब्रिटिश राज की देन

मॉल रोड’ की शुरुआत ब्रिटिश काल में हुई थी। जब ब्रिटिश अधिकारी भारत में गर्मियों के मौसम से बचने के लिए पहाड़ों की ओर जाते थे, तब उन्होंने कई हिल स्टेशनों का विकास करवाया। शिमला तो एक समय पर ब्रिटिश भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी रहा है।

"मॉल" शब्द कहां से आया?

मॉल’ शब्द दरअसल ब्रिटिश अंग्रेज़ी के एक पुराने शब्द से आया है – The Mall। लंदन में एक प्रसिद्ध रास्ता है जिसे "The Mall" कहा जाता है, जो बकिंघम पैलेस की ओर जाता है। इसी परंपरा को ब्रिटिश अधिकारियों ने भारत में भी अपनाया।


मॉल रोड: केवल अंग्रेज़ों के लिए आरक्षित

ब्रिटिश दौर में मॉल रोड आम जनता के लिए नहीं थी। यह केवल गोरे अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए आरक्षित थी। भारतीयों को इस सड़क पर चलने की अनुमति नहीं होती थी। यह जगह उनकी टहलने, सामाजिक मिलन और परेड जैसी गतिविधियों के लिए तय थी।

मुख्य विशेषताएं:

  • साफ-सुथरी और चौड़ी सड़क
  • ब्रिटिश आर्किटेक्चर वाले भवन
  • चर्च, क्लब, थिएटर और लाइब्रेरी
  • खरीदारी के लिए एलीट दुकानों की श्रृंखला

 आज की मॉल रोड: हर टूरिस्ट की पहली पसंद

आजादी के बाद मॉल रोड पर से यह औपनिवेशिक प्रतिबंध हट गया और यह आम जनता के लिए खुल गई। आज यह जगह हर टूरिस्ट के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है।

मॉल रोड पर क्या मिलता है:

  • स्थानीय शिल्प और हस्तकला
  • गर्म कपड़े, लकड़ी की कलाकृतियाँ
  • कैफे, बेकरी, रेस्टोरेंट
  • स्ट्रीट फूड और लोकल डिशेज
  • फोटोग्राफी पॉइंट और शानदार वॉकवे

 मॉल रोड क्यों बन गई हर हिल स्टेशन की पहचान?

1.    ब्रिटिश परंपरा की विरासत: जब अंग्रेजों ने कई हिल स्टेशन बसाए, उन्होंने एक जैसी शहरी योजना अपनाई – जिसमें चर्च, क्लब और मॉल रोड अनिवार्य थे।

2.    केंद्र बिंदु: मॉल रोड को शहर के केंद्र में बनाया जाता था ताकि यह सबसे सुगम और प्रमुख स्थल हो।

3.    पर्यटकों की सुविधा: यह क्षेत्र पर्यटन, खरीदारी और सामाजिक गतिविधियों के लिए सबसे उपयुक्त रहता है।

4.    वाहन-मुक्त क्षेत्र: अधिकतर मॉल रोड पर गाड़ियों की आवाजाही पर रोक होती है, जिससे लोग पैदल घूमने का लुत्फ उठाते हैं।


 भारत के प्रमुख हिल स्टेशनों की मॉल रोड:

हिल स्टेशन

मॉल रोड की खासियत

शिमला

चर्च, स्कैंडल पॉइंट, गाइटी थिएटर

मनाली

तिब्बती मार्केट, लोकल क्राफ्ट्स

मसूरी

कैम्ब्रिज बुक डिपो, झूलेदार सड़कें

नैनीताल

नैनी झील के पास स्थित, खरीदारी और स्ट्रीट फूड हब

दार्जिलिंग

ब्रिटिश-स्टाइल इमारतें, चाय की दुकानों की भरमार


???? यात्रा पर जाएं तो मॉल रोड जरूर घूमें

मॉल रोड सिर्फ एक सड़क नहीं है, यह एक संस्कृति, एक इतिहास और एक अनुभव है। यहां टहलना, दुकानों की रौनक देखना, लोकल खाने का स्वाद लेना और पहाड़ी वातावरण में सुकून पाना – ये सब मिलकर आपकी यात्रा को यादगार बना देते हैं।


हर हिल स्टेशन की मॉल रोड ब्रिटिश काल की एक ऐसी छाप है, जो आज भी जीवंत है। वह समय भले बदल गया हो, लेकिन मॉल रोड की रौनक, आकर्षण और महत्व आज भी बना हुआ है। अगली बार जब आप किसी हिल स्टेशन जाएं, तो सिर्फ मस्ती के लिए नहीं, इतिहास को जानने के लिए भी मॉल रोड पर जरूर टहलें।

 

 

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