ग्रेटर नोएडा में जमीन दिलाने के नाम पर 3 करोड़ की ठगी, बिजनेसमैन से हुई धोखाधड़ी
ग्रेटर नोएडा में एक बिजनेसमैन से जमीन दिलाने के नाम पर 3 करोड़ की ठगी का मामला सामने आया है। जानिए कैसे हुआ यह फर्जीवाड़ा और इससे कैसे बचें।

ग्रेटर नोएडा में जमीन दिलाने के नाम पर ठगी, बिजनेसमैन को लगाया 3 करोड़ का चूना
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक बड़े बिजनेसमैन को जमीन दिलाने के नाम पर करीब 3 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। यह घटना न केवल कारोबारी जगत के लिए एक चेतावनी है, बल्कि आम लोगों को भी सतर्क रहने की ज़रूरत है कि कैसे फर्जी दस्तावेज़, दिखावटी अधिकारी और बड़ी-बड़ी बातें करके ठग अपना जाल बिछाते हैं।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, दिल्ली के एक प्रतिष्ठित व्यापारी को ग्रेटर नोएडा में एक प्राइम लोकेशन पर जमीन दिलाने का झांसा देकर ठगों ने उनसे लगभग 3 करोड़ रुपये ऐंठ लिए। आरोपी खुद को एक प्रभावशाली रियल एस्टेट कंसल्टेंट बताकर व्यापारी से मिला और दावा किया कि उसके पास ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अंदर मजबूत संपर्क हैं।
पीड़ित व्यापारी ने भरोसा कर के:
- बुकिंग अमाउंट
- प्रोसेसिंग फीस
- कथित अप्रूवल खर्च
जैसे कई हिस्सों में रकम अदा की।
जब महीनों बीत जाने के बाद भी न तो जमीन मिली और न ही रजिस्ट्री की कोई प्रक्रिया शुरू हुई, तब जाकर उन्हें ठगी का एहसास हुआ।
कैसे रची गई ये ठगी की साज़िश?
इस ठगी में इस्तेमाल हुए तरीके बेहद शातिराना थे:
1. फर्जी दस्तावेज और नकली लेटरहेड
आरोपियों ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के नकली दस्तावेज़ और लेटरहेड तैयार किए, जिन पर नकली मोहरें और हस्ताक्षर थे।
2. भरोसेमंद छवि बनाना
आरोपी अक्सर फॉर्मल कपड़ों में मिलता और बातों में ऐसे आंकड़े देता जिससे सामने वाला भ्रमित हो जाए कि वह सच में 'कनेक्शन' वाला आदमी है।
3. फर्जी ऑफिस और स्टाफ
दिल्ली-एनसीआर में किराए पर एक ऑफिस लिया गया था, जिसमें अस्थायी कर्मचारी और रिसेप्शनिस्ट रखे गए थे ताकि सेटअप असली लगे।
पुलिस में दर्ज हुई FIR
व्यापारी ने जब ठगी की आशंका के चलते आरोपी से पैसे लौटाने की बात की, तो वह फोन बंद करके फरार हो गया। इसके बाद पीड़ित ने ग्रेटर नोएडा पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलिस ने IPC की विभिन्न धाराओं जैसे:
- 420 (धोखाधड़ी)
- 406 (विश्वासघात)
- 467, 468 (जालसाजी) के तहत मामला दर्ज कर लिया है और आरोपियों की तलाश में छापेमारी की जा रही है।
क्यों बढ़ रहे हैं ऐसे मामले?
- रियल एस्टेट में बड़े मुनाफे की उम्मीद
लोगों को लगता है कि सही कनेक्शन से सस्ती और सरकारी जमीन मिल सकती है। - सरकारी सिस्टम की जटिलता
जमीन से जुड़े डॉक्यूमेंटेशन और अप्रूवल में देरी की वजह से लोग बिचौलियों पर भरोसा कर लेते हैं। - डिजिटल फर्जीवाड़े का दौर
अब नकली वेबसाइट, ईमेल, कॉल और लेटरपैड बड़ी आसानी से बनते हैं।
कैसे बचें ऐसी ठगी से?
अगर आप भी जमीन या प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं, तो इन बातों का ज़रूर ध्यान रखें:
प्रामाणिकता जांचें
किसी भी एजेंट या कंपनी के दस्तावेजों को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की वेबसाइट या ऑफिस से वेरिफाई करवाएं।
नकद लेनदेन से बचें
हमेशा बैंक ट्रांजेक्शन के माध्यम से भुगतान करें और हर ट्रांजेक्शन का प्रूफ रखें।
लॉयर से डॉक्यूमेंट चेक कराएं
कोई भी दस्तावेज साइन करने से पहले उसे प्रोफेशनल लॉयर को दिखाएं।
प्रॉपर्टी साइट विजिट करें
कागजों के भरोसे न रहें। खुद जाकर लोकेशन देखें और वहां की स्थिति जांचें।
RTI से जानकारी लें
जरूरत पड़ने पर राइट टू इंफॉर्मेशन (RTI) के जरिए सरकारी अथॉरिटी से डिटेल्स मांग सकते हैं।
निष्कर्ष
ग्रेटर नोएडा में हुई यह ठगी की घटना एक बड़ी चेतावनी है। जमीन जैसे हाई-वैल्यू निवेश में भावनाओं के बजाय तथ्यों पर भरोसा करें।
"सस्ते में प्लॉट" और "अंदर की डील" जैसे लालच आपको करोड़ों का चूना लगा सकते हैं।
अंत में यही कहा जा सकता है —
सतर्क रहें, जांचें और सोच-समझ कर निवेश करें।
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