Google Maps ने भेज दिया रेल की पटरी पर! गोपालगंज जाना था, पहुंच गए जगतबेला रेल लाइन
बिहार में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया जहाँ ड्राइवर गोपालगंज जाना चाहता था लेकिन Google Maps की वजह से सीधा जगतबेला रेलवे ट्रैक पर पहुंच गया। चालक की जान बाल-बाल बची।

Google Maps ने पहुंचा दिया रेल की पटरी पर! गोपालगंज जाना था, पहुंच गए जगतबेला ट्रैक पर
आज के डिजिटल युग में जब हर कोई तकनीक पर भरोसा करता है, खासकर नेविगेशन के लिए Google Maps पर, तब ऐसी घटनाएं एक चेतावनी की तरह सामने आती हैं। बिहार में हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें ड्राइवर को गोपालगंज जाना था, लेकिन Google Maps की गड़बड़ी के कारण वह सीधा पहुंच गया जगतबेला रेलवे लाइन पर! गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और चालक की जान बाल-बाल बच गई।
क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के अनुसार, एक निजी वाहन का चालक अपने वाहन को लेकर बिहार के गोपालगंज की ओर जा रहा था। उसने रूट के लिए Google Maps का सहारा लिया, जो उसे NH-531 के बजाए एक छोटे रास्ते से ले गया। कुछ किलोमीटर आगे बढ़ने के बाद Maps ने उसे जगतबेला नामक क्षेत्र की ओर मोड़ दिया।
शुरुआत में तो सड़क जैसी ही महसूस हो रही थी, लेकिन कुछ दूर चलने के बाद चालक को एहसास हुआ कि वह रेल की पटरी पर गाड़ी चला रहा है। तब तक काफी देर हो चुकी थी। सामने से ट्रेन नहीं आ रही थी, लेकिन रेल ट्रैक पर गाड़ी ले जाना किसी जानलेवा खतरे से कम नहीं।
कैसे बची चालक की जान?
गनीमत यह रही कि आसपास के स्थानीय लोगों ने समय रहते गाड़ी को रोक दिया और चालक को रेल ट्रैक से बाहर निकालने में मदद की। लोगों ने बताया कि यह इलाका पहले भी इस तरह की घटनाओं के लिए बदनाम रहा है क्योंकि GPS यहां अक्सर गड़बड़ी करता है।
स्थानीय प्रशासन को सूचित किया गया और गाड़ी को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला गया। कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन इस घटना ने यह सवाल जरूर खड़ा कर दिया है – क्या हम तकनीक पर कुछ ज़्यादा ही निर्भर हो गए हैं?
क्या Google Maps पर पूरी तरह भरोसा सही है?
Google Maps जैसे प्लेटफॉर्म्स लाखों लोगों के लिए रोज़ाना का नेविगेशन टूल हैं। लेकिन इनका पूरा सिस्टम यूज़र डेटा, मैप अपडेट्स, और AI एल्गोरिद्म पर आधारित होता है। ग्रामीण इलाकों या कम-मैप किए गए क्षेत्रों में अक्सर ये गलत रूट दिखा देते हैं।
यह पहली बार नहीं है जब Google Maps की वजह से कोई हादसा होते-होते टला हो:
- 2022 में मध्यप्रदेश के एक गांव में एक एंबुलेंस गलत रास्ते पर चली गई थी और मरीज की हालत बिगड़ गई थी।
- उत्तराखंड में एक पर्यटक वाहन को Google Maps ने नदी के पार वाले पुल की जगह पानी में ले जाकर फंसा दिया था।
लोगों की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने Google Maps की खूब आलोचना की। कई लोगों ने तकनीकी कंपनियों से ग्रामीण इलाकों के डेटा को बेहतर करने की मांग की। वहीं, कुछ यूज़र्स ने सुझाव दिया कि "Google Maps एक गाइड हो सकता है, गॉड नहीं।"
कुछ स्थानीय लोगों ने प्रशासन से यह भी मांग की कि ऐसे संवेदनशील इलाकों में चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं जिससे कोई अनजाना व्यक्ति ग़लती से भी रेलवे ट्रैक पर न पहुंचे।
प्रशासन की भूमिका
बिहार पुलिस और रेलवे प्रशासन ने समय पर कार्रवाई करते हुए वाहन को ट्रैक से हटवा दिया। साथ ही रेलवे ट्रैक पर गलत दिशा में चढ़ने से संबंधित चेतावनी चिन्ह लगाने का आश्वासन भी दिया गया।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने Google को पत्र लिखकर डेटा अपडेट करने की मांग भी की है ताकि भविष्य में कोई इस तरह की गलती दोहराए नहीं।
तकनीक पर भरोसा ठीक है, लेकिन सतर्क रहना जरूरी है
हम जिस डिजिटल युग में जी रहे हैं, वहां तकनीक के बिना जीवन की कल्पना मुश्किल है। लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हर तकनीक की अपनी सीमाएं होती हैं। Google Maps एक बेहतरीन सहायक है, लेकिन पूरी तरह उस पर निर्भर होना कभी-कभी भारी पड़ सकता है।
सुझाव:
- अनजान इलाकों में स्थानीय लोगों से रूट की पुष्टि अवश्य करें।
- रेलवे ट्रैक, खेत या पगडंडी जैसे रास्तों पर जाते समय खास सावधानी रखें।
- तकनीक का उपयोग करें, लेकिन सोच-समझकर।
निष्कर्ष
बिहार की यह घटना एक चेतावनी है कि सिर्फ तकनीक पर निर्भरता खतरे को न्योता दे सकती है। यह समय है जब हम अपनी सतर्कता बढ़ाएं और Google जैसे प्लेटफॉर्म को फीडबैक देकर उन्हें और बेहतर बनाने में योगदान दें।
Google Maps पर भरोसा करें, लेकिन आंख मूंदकर नहीं।
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