डर से क‍िडनी ताे गुस्‍से से ल‍िवर होता है खराब, कुछ यूं शरीर के अंगों को प्रभावि‍त करते हैं इमोशंस

क्या गुस्सा, डर और तनाव आपके लिवर, किडनी और दिल को नुकसान पहुंचा सकते हैं? जानिए कैसे हमारे इमोशंस सीधे शरीर के अंगों को प्रभावित करते हैं इस हेल्थ ब्लॉग में।

डर से क‍िडनी ताे गुस्‍से से ल‍िवर होता है खराब, कुछ यूं शरीर के अंगों को प्रभावि‍त करते हैं इमोशंस

डर से क‍िडनी , गुस्‍से से ल‍िवर होता है खराब, कुछ यूं शरीर के अंगों को प्रभावि‍त करते हैं इमोशंस

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके भावनात्मक अनुभव (इमोशंस) सीधे तौर पर आपके शारीरिक अंगों को प्रभावित कर सकते हैं?
आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद दोनों ही इस बात की पुष्टि करते हैं कि हमारी भावनाएं – जैसे गुस्सा, डर, दुख, तनाव, और खुशीन केवल हमारे मन पर, बल्कि हमारे शरीर के आंतरिक अंगों पर भी असर डालती हैं।

इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे हमारे इमोशंस हमारे लिवर, किडनी, दिल, फेफड़े और पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं।


1. गुस्सा – लिवर पर सीधा असर

गुस्सा अगर बार-बार और लंबे समय तक बना रहे तो यह लिवर की ऊर्जा को अवरुद्ध कर सकता है।
लक्षणों में शामिल हैं:

  • सिरदर्द
  • पाचन की समस्याएं
  • त्वचा पर रैशेस
  • हॉर्मोनल असंतुलन

चीनी चिकित्सा प्रणाली (TCM) में लिवर को "इमोशंस का कंट्रोलर" माना गया है, और गुस्से को इसकी मुख्य बाधा।


2. डर – कमजोर करता है किडनी को

अत्यधिक डर और चिंता, विशेषकर लंबे समय तक बना रहे, तो इसका असर किडनी की कार्यक्षमता पर पड़ता है।
इसके प्रभाव:

  • थकान
  • मूत्र संबंधी दिक्कतें
  • पीठ दर्द
  • नींद की कमी

बच्चों में अत्यधिक डर बिस्तर गीला करने (bedwetting) का कारण बन सकता है – यह भी किडनी से जुड़ा संकेत है।


3. दुख – फेफड़ों को करता है कमजोर

बार-बार या गहरा दुख और अवसाद फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप:

  • सांस लेने में कठिनाई
  • सीने में भारीपन
  • इम्यूनिटी कमजोर होना
  • एलर्जी या अस्थमा की संभावना

योग और प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और भावनात्मक बैलेंस के लिए बेहद उपयोगी हैं।


4. तनाव – पेट और पाचन तंत्र पर असर

जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर की फाइट या फ्लाइट’ प्रतिक्रिया सक्रिय हो जाती है, जिससे पाचन क्रिया धीमी हो जाती है।
लक्षण:

  • एसिडिटी
  • गैस
  • भूख में कमी या बढ़ोतरी
  • IBS (Irritable Bowel Syndrome)

तनाव से गट हेल्थ सीधे प्रभावित होता है और यह हमारी इम्यूनिटी को भी कमजोर कर सकता है।


5. ज्यादा सोच-विचार – तिल्ली और पाचन शक्ति पर असर

अत्यधिक सोचने और चिंता करने की आदत तिल्ली (Spleen) और डाइजेस्टिव सिस्टम को प्रभावित करती है। यह शरीर की ऊर्जा को कमजोर कर सकती है।

  • थकान
  • मीठा खाने की लालसा
  • अपच
  • वजन बढ़ना या घटना

6. खुशी – दिल को करता है मजबूत, लेकिन अधिकता नुकसानदेह

खुशी और संतुलित उत्साह दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है, लेकिन अत्यधिक उत्तेजना कभी-कभी हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ा सकती है।

हर भावना का संतुलन जरूरी है – अति कोई भी हो, तो शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है।


कैसे रखें अपने इमोशंस और अंगों का संतुलन?

  • माइंडफुलनेस और मेडिटेशन: भावनाओं को पहचानने और संभालने में मददगार
  • योग और प्राणायाम: फेफड़े, दिल और मानसिक स्थिति के लिए फायदेमंद
  • संतुलित भोजन: शरीर के अंगों को पोषण देता है
  • भरपूर नींद और व्यायाम
  • भावनात्मक अभिव्यक्ति: बात करना, लिखना, या कला के माध्यम से

हमारा शरीर और मन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हमारी भावनाएं सिर्फ मानसिक अनुभव नहीं, बल्कि ये शरीर के अंदर ऊर्जा का प्रवाह भी नियंत्रित करती हैं।
अगर हम अपने इमोशंस को समझें, उन्हें सम्मान दें और संतुलित रखें, तो हम न केवल मानसिक रूप से, बल्कि शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रह सकते हैं।

 

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