दिल्ली के कई इलाकों में सामान्य दो गुना तक बढ़ा ओजोन का स्तर, सेहत को पहुंचा रहा नुकसान

दिल्ली में ओजोन का स्तर सामान्य से दोगुना तक पहुंच चुका है। जानिए किन इलाकों में खतरा ज्यादा है, इसके स्वास्थ्य प्रभाव, कारण और जरूरी बचाव के उपाय।

दिल्ली के कई इलाकों में सामान्य दो गुना तक बढ़ा ओजोन का स्तर, सेहत को पहुंचा रहा नुकसान

दिल्ली में वायु प्रदूषण एक पुराना संकट रहा है, लेकिन अब इसमें एक नया और खतरनाक तत्व शामिल हो गया है – ओजोन (O₃)। हाल ही में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दिल्ली के कुछ इलाकों में ओजोन का स्तर सामान्य से दोगुना तक पहुंच चुका है। यह स्थिति विशेषकर गर्मियों के दौरान और भी गंभीर रूप ले रही है।


क्या है ओजोन और कैसे बनती है?

ओजोन एक गैस है, जो वायुमंडल में दो रूपों में पाई जाती है:

1.    स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन (अच्छी ओजोन): जो सूरज की हानिकारक UV किरणों से पृथ्वी को बचाती है।

2.    ग्राउंड-लेवल ओजोन (खराब ओजोन): जो सतह पर बनती है और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है।

यह खराब ओजोन तब बनती है जब नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स (VOCs) सूर्य की रोशनी में रासायनिक प्रतिक्रिया करते हैं – यानि जब धूप तेज होती है, तो ओजोन का स्तर तेजी से बढ़ता है।


 दिल्ली के कौन से इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं?

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, ओजोन स्तर में 50% से लेकर 100% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, विशेष रूप से निम्न इलाकों में:

  • आनंद विहार
  • आईटीओ
  • मुनिरका
  • ओखला फेज-2
  • बुराड़ी और जहाँगीरपुरी

इन क्षेत्रों में दिन के समय ओजोन का स्तर 120 से 160 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक दर्ज किया गया, जबकि सुरक्षित सीमा 100 µg/m³ मानी जाती है।


सेहत पर कैसे असर डालती है ओजोन?

ओजोन गैस सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर श्वसन तंत्र पर सबसे पहले असर डालती है:

 स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव:

  • गले में जलन और खांसी
  • सांस फूलना और दम घुटना
  • अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों की गंभीरता बढ़ना
  • बच्चों और बुजुर्गों में फेफड़ों की क्षमता कम होना
  • लंबी अवधि में फेफड़ों की स्थायी क्षति

विशेष रूप से बच्चे, बुजुर्ग, और अस्थमा के मरीज अधिक खतरे में हैं।


 क्यों बढ़ रहा है दिल्ली में ओजोन स्तर?

  • वाहनों की संख्या में वृद्धि: ट्रैफिक जाम और ईंधन दहन से निकली गैसें
  • औद्योगिक प्रदूषण: फैक्ट्रियों से निकलने वाले VOCs
  • तेज धूप और ऊंचा तापमान: गर्मी के मौसम में ओजोन तेजी से बनती है
  • हरे भरे क्षेत्र की कमी: पेड़ पौधों की कटाई से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ा

 बचाव के उपाय – कैसे करें खुद की सुरक्षा?

 व्यक्तिगत स्तर पर:

  • सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक घर में रहें (तेज धूप से बचें)
  • मास्क पहनें (विशेष रूप से N95)
  • घर में एयर प्यूरीफायर का प्रयोग करें
  • फेफड़ों की सेहत के लिए भाप और योग अपनाएं

 सामुदायिक स्तर पर:

  • सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग बढ़ाएं
  • अधिक से अधिक पौधे लगाएं
  • गाड़ियों की रेगुलर सर्विसिंग करें
  • कार पूलिंग को बढ़ावा दें

 सरकारी स्तर पर क्या किया जाना चाहिए?

  • ओजोन की रियल टाइम मॉनिटरिंग बढ़ाई जाए
  • गर्मियों में निर्माण कार्य पर आंशिक रोक लगाई जाए
  • सख्त वायु गुणवत्ता नियम लागू हों
  • स्कूलों में बच्चों को जागरूक किया जाए

ओजोन का खतरा समझिए, सतर्क रहिए

दिल्ली में ओजोन स्तर का सामान्य से दो गुना बढ़ना सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक गंभीर संकेत है। यह प्रदूषण का अगला चरण है, जो धीरे-धीरे शरीर के अंदर अघोषित जहर की तरह फैल रहा है। ज़रूरत है समय रहते सावधानी बरतने की, वरना आने वाले समय में स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर आपदाएं सामने आ सकती हैं।

 

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