तटीय नौवहन विधेयक 2024 – भारत के समुद्री व्यापार को मिलेगी नई रफ्तार

लोकसभा में पारित तटीय नौवहन विधेयक 2024 भारत के तटीय व्यापार को नई दिशा देगा। जानें इसके मुख्य बिंदु, फायदे, चिंताएं और भविष्य की संभावना।

तटीय नौवहन विधेयक 2024 – भारत के समुद्री व्यापार को मिलेगी नई रफ्तार

तटीय नौवहन विधेयक 2024: भारत के समुद्री व्यापार का नया अध्याय

भारत, जिसकी समुद्री सीमा लगभग 7,500 किलोमीटर तक फैली हुई है, वैश्विक व्यापार में समुद्री मार्गों के उपयोग को लेकर एक अहम देश है। इसी कड़ी में लोकसभा द्वारा पारित "तटीय नौवहन विधेयक 2024 (Coastal Shipping Bill 2024)" एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य है भारत के तटीय जल क्षेत्रों में नौवहन को सुव्यवस्थित करना और घरेलू समुद्री परिवहन को बढ़ावा देना।

 विधेयक की पृष्ठभूमि

पहले भारत में तटीय नौवहन की व्यवस्था Merchant Shipping Act, 1958 के तहत की जाती थी। लेकिन इस पुराने कानून में कई कमियाँ थीं — जैसे स्पष्ट परिभाषाओं की कमी, नई तकनीकों को न अपनाना, और नौवहन सुरक्षा को लेकर अस्पष्टता। इसी कारण से यह नया विधेयक लाया गया, जो तटीय व्यापार के लिए एक समर्पित कानूनी ढांचा प्रदान करता है।


 विधेयक की मुख्य विशेषताएं

1. तटीय व्यापार की नई परिभाषा

इस विधेयक के तहत "तटीय व्यापार" का दायरा बढ़ा दिया गया है। इसमें अब केवल माल या यात्रियों की ढुलाई ही नहीं, बल्कि अनुसंधान, अन्वेषण, सर्वेक्षण और समुद्र में दी जाने वाली व्यावसायिक सेवाएँ (जैसे ड्रिलिंग, केबल बिछाना) भी शामिल हैं।
 
हालांकि मछली पकड़ना इस विधेयक के अंतर्गत नहीं आता।

2. लाइसेंसिंग प्रणाली

अब कोई भी जहाज जो तटीय व्यापार करना चाहता है, उसे भारत सरकार से लाइसेंस प्राप्त करना होगा। इसका मुख्य उद्देश्य:

  • विदेशी जहाजों को नियंत्रित करना
  • भारतीय जहाजों को प्राथमिकता देना
  • राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखना

3. भारतीय स्वामित्व को बढ़ावा

सरकार का उद्देश्य है कि भारतीय नागरिकों द्वारा स्वामित्व वाले और संचालित जहाजों की संख्या बढ़े, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा और आपातकालीन परिस्थितियों में भारत आत्मनिर्भर रह सके।


 इस विधेयक के फायदे

 1. परिवहन लागत में कमी

समुद्री परिवहन सड़क और रेल की तुलना में अधिक किफायती होता है। इस विधेयक के जरिए भारत में घरेलू समुद्री परिवहन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में उल्लेखनीय गिरावट आ सकती है।

 2. सड़क और रेल पर दबाव कम होगा

भारतीय रेलवे और सड़कों पर अधिक लोड रहता है। तटीय शिपिंग का विकास इस बोझ को कम करेगा।

 3. पर्यावरण के लिए अनुकूल

जहाजों से माल ढुलाई, ट्रक और ट्रेन की तुलना में कम कार्बन उत्सर्जन करती है। यह विधेयक भारत को अपने पर्यावरणीय लक्ष्यों की ओर भी एक कदम आगे ले जाएगा।

 4. स्थानीय व्यापार और रोजगार को बढ़ावा

तटीय क्षेत्रों में नए बंदरगाह, शिप रिपेयर यार्ड, माल गोदाम और सर्विस केंद्र खुलेंगे, जिससे स्थानीय रोजगार और व्यापारिक अवसरों में वृद्धि होगी।


 विपक्ष और विशेषज्ञों की चिंताएं

हालांकि विधेयक के फायदे स्पष्ट हैं, कुछ आलोचनाएं भी सामने आई हैं:

 1. राज्य सरकारों की भूमिका कम

कुछ विपक्षी नेताओं ने कहा कि इस विधेयक में केंद्र सरकार को अत्यधिक अधिकार दिए गए हैं, जबकि तटीय जल का संचालन राज्यों से भी संबंधित होता है।

 2. तटीय समुदायों को नजरअंदाज़ करना

विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि इस विधेयक के लागू होने से मछुआरे समुदायों और छोटे स्थानीय व्यवसायों पर असर पड़ सकता है। यह जरूरी है कि नीतियों में उनके हितों को भी शामिल किया जाए।

 3. संरचना और निवेश की जरूरत

विधेयक तो पास हो गया, लेकिन इसे लागू करने के लिए नई संरचनाओं, इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश की आवश्यकता होगी। अगर ये न हो पाए तो इसका उद्देश्य अधूरा रह सकता है।


???????? सरकार की सोच

केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि:

"यह विधेयक तटीय शिपिंग को पर्यावरण-संवेदनशील, कम लागत वाला और कुशल परिवहन माध्यम बनाने में मदद करेगा।"

उन्होंने आगे बताया कि इससे "भारत को लॉजिस्टिक्स हब" बनाने में सहायता मिलेगी, और इससे भारत की ब्लू इकॉनमी (Blue Economy) को भी बल मिलेगा।


 निष्कर्ष: क्या यह एक गेमचेंजर साबित होगा?

तटीय नौवहन विधेयक 2024 भारत के समुद्री व्यापार के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है। यह कानून तटीय परिवहन को प्रोफेशनल और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।

हालाँकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि:

  • सरकार इसमें कितना निवेश करती है
  • राज्य सरकारों और तटीय समुदायों के साथ समन्वय कैसा रहता है
  • और सबसे अहम — क्या यह कानून आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाता है या नहीं



 

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