बुखार किस ग्रह के कारण होता है? जानें ज्योतिषीय कारण और उपाय

बुखार बार-बार क्यों आता है? जानें मंगल, राहु, सूर्य जैसे ग्रहों का स्वास्थ्य पर प्रभाव और उनसे राहत पाने के लिए प्रभावशाली मंत्र व ज्योतिषीय उपाय।

बुखार किस ग्रह के कारण होता है? जानें ज्योतिषीय कारण और उपाय

बुखार किस ग्रह के खराब होने पर आता है? — ज्योतिषीय दृष्टिकोण

आधुनिक विज्ञान जहां बुखार को शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया मानता है, वहीं भारतीय ज्योतिषशास्त्र में बुखार को ग्रहों की अशुभ स्थिति या प्रभाव का परिणाम भी माना जाता है। कई बार ऐसा होता है कि मेडिकल जांच में कुछ स्पष्ट नहीं होता, लेकिन व्यक्ति बार-बार बीमार होता रहता है। ऐसे में ज्योतिष शास्त्र एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रदान करता है।

बुखार और ग्रहों का संबंध

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुखार का मुख्य संबंध मंगल ग्रह से होता है। मंगल अग्नि तत्व से जुड़ा ग्रह है और शरीर में तेज़ गर्मी या जलन पैदा करने वाला माना जाता है। जब यह ग्रह किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ स्थिति में होता है — जैसे कि शत्रु राशि में हो, राहु/केतु के साथ युति में हो, या खराब भावों (जैसे कि छठा, आठवां, बारहवां) में स्थित हो — तब यह बार-बार बुखार या संक्रमण की समस्या पैदा कर सकता है।

अन्य ग्रहों का प्रभाव

  • राहु और केतु: रहस्यमयी ग्रह माने जाते हैं। इनका बुखार पर प्रभाव तब देखा जाता है जब ये मंगल या सूर्य के साथ युति करते हैं। यह स्थिति वायरल फीवर, डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों को दर्शा सकती है।
  • सूर्य: यह शरीर की ऊर्जा और रोग प्रतिरोधक क्षमता का कारक ग्रह है। यदि सूर्य नीच का हो या अशुभ दृष्टि में हो, तो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है, जिससे बुखार बार-बार हो सकता है।
  • शनि: यह रोग को लम्बा करने वाला ग्रह माना जाता है। यदि शनि बुखार के समय सक्रिय हो तो बुखार लंबे समय तक रह सकता है या बार-बार वापिस आ सकता है।

बुखार से संबंधित योग

  • छठे भाव (रोग स्थान) में मंगल, राहु या सूर्य की युति।
  • लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि।
  • दशा/अंतरदशा में मंगल, राहु, सूर्य या शनि का प्रभाव।

ज्योतिषीय उपाय

Disclaimer: ये उपाय धार्मिक आस्था पर आधारित हैं। किसी भी रोग के लिए सबसे पहले चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है।

1.    मंगल शांति के उपाय: हनुमान चालीसा का पाठ करें, मंगलवार को व्रत रखें।

2.    राहु/केतु शांति: "राहु-केतु बीज मंत्र" का जाप करें, शनिवार को दान करें।

3.    सूर्य की मजबूती के लिए: प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करें।

4.    शनि का शमन: शनिदेव की पूजा करें, शनिवार को तिल का दान करें।

 

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