ब्रॉडबैंड डिवाइस की अनिवार्य टेस्टिंग की समय सीमा बढ़ी, सरकार का बड़ा फैसला

भारत सरकार ने ब्रॉडबैंड उपकरणों की अनिवार्य टेस्टिंग की समय सीमा को सितंबर 2025 तक बढ़ा दिया है। जानें इस फैसले का असर उद्योग, उपभोक्ताओं और डिजिटल इंडिया मिशन पर।

ब्रॉडबैंड डिवाइस की अनिवार्य टेस्टिंग की समय सीमा बढ़ी, सरकार का बड़ा फैसला

भारत सरकार का बड़ा फैसला: ब्रॉडबैंड डिवाइस की अनिवार्य टेस्टिंग की समय सीमा सितंबर तक बढ़ी

डिजिटल इंडिया की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे भारत ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लेते हुए ब्रॉडबैंड उपकरणों की अनिवार्य टेस्टिंग की समय सीमा को सितंबर 2025 तक के लिए बढ़ा दिया है। यह निर्णय दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेक्नोलॉजी प्रदाताओं और उपकरण निर्माताओं को राहत देने के लिए लिया गया है, ताकि वे आवश्यक मानकों के अनुरूप अपने उत्पादों का परीक्षण करा सकें।

इस निर्णय से ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाताओं, उपकरण निर्माताओं, उपभोक्ताओं और तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े हर हिस्से पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि यह निर्णय क्यों लिया गया, इसका उद्योग और आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा, और भारत के डिजिटल भविष्य में इसकी क्या भूमिका होगी।


ब्रॉडबैंड डिवाइस की अनिवार्य टेस्टिंग क्या है?

दूरसंचार उपकरण जैसे कि राउटर, मॉडेम, गेटवे आदि को बाज़ार में बेचने से पहले एक निश्चित तकनीकी मानकों पर जांचा और परखा जाना जरूरी होता है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को सुरक्षित, गुणवत्ता युक्त और भरोसेमंद सेवाएं प्रदान करना है।

भारत में इस टेस्टिंग को “MTCTE (Mandatory Testing and Certification of Telecommunication Equipment)कहा जाता है, जो टेलीकॉम इंजीनियरिंग सेंटर (TEC) द्वारा संचालित होता है।


समय सीमा बढ़ाने का कारण क्या है?

इस साल मार्च तक भारत सरकार ने 100% अनिवार्य टेस्टिंग की समयसीमा निर्धारित की थी। लेकिन:

  • उपकरण निर्माताओं की मांग थी कि उन्हें और समय दिया जाए।
  • टेस्टिंग लैब की क्षमता फिलहाल सीमित है, जिससे समय पर प्रमाणपत्र मिलना कठिन हो रहा था।
  • आपूर्ति श्रृंखला में वैश्विक रुकावटें और उत्पादन में देरी भी बड़ी वजह बनीं।

इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने समय सीमा को सितंबर 2025 तक के लिए बढ़ा दिया है।


 किन उपकरणों पर होगा असर?

इस विस्तार का लाभ निम्नलिखित उपकरणों को मिलेगा:

  • Wi-Fi राउटर
  • ब्रॉडबैंड मॉडेम
  • Access Points
  • Optical Network Terminals (ONT)
  • Residential Gateways
  • अन्य घरेलू और व्यावसायिक इंटरनेट उपकरण

 उद्योग पर असर

 1. निर्माताओं को मिला समय

अब ब्रॉडबैंड उपकरण बनाने वाली कंपनियों के पास तकनीकी मानकों पर अपने प्रोडक्ट को ढालने का अतिरिक्त समय मिलेगा। इससे छोटे और मझोले उद्योगों को खासतौर पर राहत मिलेगी।

 2. स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा

भारत में टेस्टिंग की सुविधा बढ़ने से स्थानीय कंपनियों को अधिक मौके मिलेंगे, जिससे "मेक इन इंडिया" पहल को बल मिलेगा।

 3. वैश्विक कंपनियों के लिए राहत

जो विदेशी कंपनियाँ भारतीय बाजार में अपने उत्पाद लाना चाहती हैं, उन्हें भी अब तैयारी के लिए कुछ महीने और मिलेंगे।


 उपभोक्ताओं पर प्रभाव

 सकारात्मक पक्ष

  • मानकीकरण के चलते भविष्य में उपकरणों की गुणवत्ता बेहतर होगी।
  • नेटवर्क स्थिरता में सुधार होगा।
  • सुरक्षा मानकों के चलते साइबर हमलों का खतरा कम होगा।

 संभावित नकारात्मक पक्ष

  • देरी के कारण अभी कुछ समय तक बाज़ार में कमजोर गुणवत्ता वाले उत्पाद भी बिकते रहेंगे।
  • उपभोक्ताओं को विश्वसनीयता की पहचान करना मुश्किल हो सकता है।

 डिजिटल इंडिया के लिए क्या मायने हैं?

सरकार का यह निर्णय देश में डिजिटल कनेक्टिविटी और इंटरनेट के विस्तार के लिए बहुत ही अहम है। भारत में तेजी से इंटरनेट उपयोगकर्ता बढ़ रहे हैं, और 5G, स्मार्ट शहर, और डिजिटल शिक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए सशक्त ब्रॉडबैंड नेटवर्क जरूरी है।

इस संदर्भ में, उपकरणों की गुणवत्ता बनाए रखना प्राथमिकता होनी चाहिए, और यह फैसला एक संतुलन प्रदान करता है — यानी नीतिगत सख्ती भी बनी रहे और उद्योगों को अनावश्यक दबाव में भी न डाला जाए।


 विशेषज्ञों की राय

तकनीकी और टेलीकॉम विशेषज्ञों का मानना है कि यह समय विस्तार एक प्रगतिशील और यथार्थवादी कदम है। इससे न केवल भारत में नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि यह उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा भी करेगा।


 सरकार की आगे की योजना

  • नई टेस्टिंग लैब की स्थापना की जा रही है।
  • ऑनलाइन टेस्टिंग पोर्टल्स को और बेहतर बनाया जा रहा है।
  • छोटे निर्माताओं के लिए प्रशिक्षण और सब्सिडी की योजना भी विचाराधीन है।

 निष्कर्ष

ब्रॉडबैंड उपकरणों की अनिवार्य टेस्टिंग की समयसीमा बढ़ाकर भारत सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह तकनीकी विकास के साथ-साथ व्यावहारिक जरूरतों को भी समझती है। यह फैसला डिजिटल भारत की नींव को मजबूत करेगा, जहां गुणवत्ता, सुरक्षा और स्थिरता प्राथमिकता होंगी।

उद्योग को यह अवसर न केवल उत्पादन सुधारने का मिलेगा, बल्कि ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के अनुरूप अपने उत्पादों को भी ढालने का मौका मिलेगा। उपभोक्ताओं को आने वाले समय में बेहतर और सुरक्षित ब्रॉडबैंड अनुभव की उम्मीद करनी चाहिए।


 

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