भारत में मेयर का चुनाव कैसे होता है? जानिए पूरी प्रक्रिया
जानिए भारत में मेयर का चुनाव कैसे होता है, कौन करता है, इसकी प्रक्रिया क्या होती है, योग्यता क्या है, और कौन-कौन से राज्य प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रणाली अपनाते हैं — पूरी जानकारी इस ब्लॉग में।

भारत में शहरी स्थानीय शासन प्रणाली को मज़बूत बनाने के लिए नगर निगम (Municipal Corporation) और नगर परिषद (Municipal Council) जैसी संस्थाएं स्थापित की गई हैं। इन संस्थाओं के प्रमुख पदों में से एक होता है — मेयर (Mayor)। यह पद किसी शहर की प्रशासनिक व्यवस्था का नेतृत्व करता है, और नागरिकों की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि भारत में मेयर का चुनाव कैसे होता है, इसकी प्रक्रिया, नियम, प्रकार और उससे जुड़ी कुछ विशेष जानकारियाँ।
1. मेयर कौन होता है?
मेयर किसी शहर का प्रमुख नागरिक अधिकारी होता है। यह उस शहर के नगर निगम का सर्वोच्च निर्वाचित पद होता है। एक मेयर शहर की स्थानीय सरकार का प्रतिनिधित्व करता है और विभिन्न योजनाओं, नीतियों और विकास कार्यों की निगरानी करता है।
2. भारत में नगर निकाय प्रणाली
भारत की नगर निकाय प्रणाली को 74वें संविधान संशोधन (1992) के तहत कानूनी मान्यता दी गई। इसके अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में तीन तरह की संस्थाएं होती हैं:
1. नगर निगम (Municipal Corporation) – बड़े शहरों के लिए
2. नगर पालिका (Municipal Council) – मध्यम आकार के शहरों के लिए
3. नगर पंचायत (Nagar Panchayat) – छोटे शहरों के लिए
मेयर का चुनाव केवल नगर निगमों में होता है, और इनकी संख्या राज्यवार भिन्न हो सकती है।
3. मेयर चुनाव की प्रक्रिया
भारत में मेयर के चुनाव की प्रक्रिया राज्य सरकारों पर निर्भर करती है। अलग-अलग राज्यों में मेयर चुनने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मूल रूप से दो प्रकार की प्रणाली प्रचलित हैं:
1. प्रत्यक्ष चुनाव (Direct Election)
इस प्रणाली में मेयर का चुनाव जनता द्वारा सीधे मतदान के जरिए किया जाता है। जैसे विधायक या सांसद चुने जाते हैं, वैसे ही नागरिक अपने नगर निगम क्षेत्र में मेयर के लिए मतदान करते हैं।
विशेषताएं:
- लोकतांत्रिक प्रक्रिया
- जनता से सीधा संबंध
- 5 साल का कार्यकाल
उदाहरण: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली अपनाई गई है।
2. परोक्ष चुनाव (Indirect Election)
इस प्रणाली में मेयर का चुनाव नगर निगम के चुने हुए पार्षदों (Councillors) के बीच होता है। जनता पार्षदों को चुनती है और वे मिलकर मेयर का चयन करते हैं।
विशेषताएं:
- राजनीतिक गठजोड़ पर निर्भर
- जनता से सीधा संपर्क नहीं
- कभी-कभी अल्पकालिक कार्यकाल
उदाहरण: महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु जैसे राज्यों में परोक्ष प्रणाली प्रचलित है।
4. चुनाव की योग्यता
मेयर बनने के लिए उम्मीदवार को कुछ न्यूनतम योग्यताएं पूरी करनी होती हैं:
- भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- आयु कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए।
- संबंधित नगर निगम क्षेत्र का मतदाता होना चाहिए।
- कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए।
- निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित अन्य शर्तें पूरी करनी चाहिए।
5. मेयर के चुनाव की समयसीमा
मेयर का चुनाव नगर निगम चुनावों के साथ या उसके बाद कराया जाता है। चुनाव की समयसीमा राज्य चुनाव आयोग तय करता है।
- कार्यकाल सामान्यतः 5 वर्ष का होता है।
- कुछ राज्यों में 1 वर्ष का घूर्णन आधार पर भी कार्यकाल हो सकता है (जैसे महाराष्ट्र में पहले था)।
6. चुनाव आयोग की भूमिका
नगर निकाय चुनावों की जिम्मेदारी राज्य चुनाव आयोग के अधीन होती है। यह संस्था:
- चुनाव की तारीख तय करती है।
- उम्मीदवारों के नामांकन की प्रक्रिया देखती है।
- निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करती है।
7. राजनीतिक दलों की भूमिका
आजकल मेयर के चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दल जैसे भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी आदि सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। ये दल अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारते हैं और प्रचार-प्रसार करते हैं।
विधानसभा चुनावों की तर्ज पर अब नगर निगम चुनाव भी राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो गए हैं, क्योंकि यह दलों की जमीनी पकड़ को दर्शाते हैं।
8. चुनाव प्रचार और मतदान
चुनाव के दौरान उम्मीदवारों द्वारा घर-घर जाकर प्रचार किया जाता है, रैलियाँ की जाती हैं, और घोषणापत्र जारी किए जाते हैं। मतदान प्रक्रिया भी विधानसभा चुनाव की तरह होती है:
- मतदाता पहचान पत्र अनिवार्य
- EVM मशीनों का प्रयोग
- सीक्रेट बैलेट की व्यवस्था
9. चुनाव के बाद – शपथ ग्रहण और कार्यकाल
चुनाव में विजयी होने के बाद, मेयर को नगर आयुक्त या राज्यपाल द्वारा शपथ दिलाई जाती है। इसके बाद वह अपने कार्यकाल की शुरुआत करता है।
10. मेयर की जिम्मेदारियाँ
मेयर केवल एक पद नहीं, बल्कि एक उत्तरदायित्वपूर्ण भूमिका है। इसके तहत निम्नलिखित कार्य आते हैं:
- नगर निगम की बैठकों की अध्यक्षता करना
- नगर क्षेत्र के विकास कार्यों की निगरानी
- बजट पेश करना और योजनाओं को अनुमोदन देना
- सार्वजनिक स्वास्थ्य, सड़क, पानी, सफाई आदि विषयों पर काम करना
- आपात स्थितियों में राहत कार्यों का संचालन
11. मेयर और नगर आयुक्त का अंतर
यह समझना जरूरी है कि मेयर और नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) की भूमिकाएं अलग-अलग होती हैं:
पहलू |
मेयर |
नगर आयुक्त |
पद |
राजनीतिक |
प्रशासनिक |
चयन प्रक्रिया |
चुनाव द्वारा |
राज्य सरकार द्वारा नियुक्त |
कार्य |
नीति निर्धारण, प्रतिनिधित्व |
योजनाओं का कार्यान्वयन |
जवाबदेही |
जनता और पार्षदों को |
राज्य सरकार को |
12. हालिया बदलाव और चर्चा
कुछ राज्यों में मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव की वापसी को लेकर बहस हो रही है। लोगों का मानना है कि जनता द्वारा चुना गया मेयर अधिक जवाबदेह होता है।
हाल ही में कई हाईकोर्ट्स ने भी राज्य सरकारों से पारदर्शी चुनाव प्रणाली अपनाने की सलाह दी है।
भारत में मेयर का चुनाव राज्यवार प्रणाली पर आधारित होते हुए भी लोकतंत्र की जड़ों को मज़बूत करने वाला एक अहम कदम है। जनता को चाहिए कि वे नगर निकाय चुनावों में भी उतनी ही रुचि दिखाएं जितनी वे लोकसभा या विधानसभा चुनावों में दिखाते हैं, क्योंकि शहरी विकास सीधे-सीधे नागरिकों के जीवन स्तर को प्रभावित करता है।
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