अपरा एकादशी 2025: पांडवों ने इस व्रत से जीता महाभारत, जानिए व्रत की महिमा और विधि

अपरा एकादशी 2025 व्रत का महत्व अपार है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पांडवों ने इस व्रत को करके महाभारत युद्ध में विजय प्राप्त की थी। जानें इस व्रत की विधि, कथा और पुण्यफल।

अपरा एकादशी 2025: पांडवों ने इस व्रत से जीता महाभारत, जानिए व्रत की महिमा और विधि

 

 अपरा एकादशी: पांडवों की विजय का रहस्य

 अपरा एकादशी 2025 की तिथि

वर्ष 2025 में अपरा एकादशी का व्रत 23 मई (शुक्रवार) को मनाया जाएगा। यह व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता है।


 पौराणिक कथा: युधिष्ठिर और श्रीकृष्ण का संवाद

महाभारत के अनुसार, जब धर्मराज युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से अपरा एकादशी व्रत की महिमा के बारे में पूछा, तब श्रीकृष्ण ने बताया कि इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है।

श्रीकृष्ण ने यह भी बताया कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को गंगा स्नान, सूर्यग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में स्नान, और हजारों गौदान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।


 महाभारत युद्ध में पांडवों की विजय और अपरा एकादशी

कहा जाता है कि पांडवों ने महाभारत युद्ध से पूर्व अपरा एकादशी का व्रत किया था। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें आत्मबल, मानसिक शांति और श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त हुआ, जिससे वे धर्मयुद्ध में विजयी हुए।


 अपरा एकादशी व्रत की महिमा

  • पापों का नाश: इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
  • पुण्य की प्राप्ति: यह व्रत गंगा स्नान, सूर्यग्रहण के समय स्नान, और हजारों गौदान के बराबर पुण्य प्रदान करता है।
  • धार्मिक लाभ: इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 व्रत विधि

1.    पूर्व रात्रि: एक दिन पूर्व सात्विक भोजन करें और व्रत का संकल्प लें।

2.    व्रत के दिन: प्रातः स्नान कर श्रीविष्णु की पूजा करें, व्रत का संकल्प लें और दिनभर उपवास रखें।

3.    पूजा: श्रीविष्णु को तुलसी, फल, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।

4.    भजन-कीर्तन: दिनभर श्रीविष्णु के भजन-कीर्तन करें और उनका स्मरण करें।

5.    पारण: द्वादशी तिथि को प्रातः पारण करें, अर्थात व्रत खोलें।


धार्मिक लाभ और आध्यात्मिक प्रभाव

अपरा एकादशी व्रत से व्यक्ति को आत्मिक शुद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह व्रत व्यक्ति को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है और उसे मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।


अपरा एकादशी व्रत न केवल पांडवों की विजय का रहस्य है, बल्कि यह व्रत आज भी श्रद्धालुओं के लिए पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का माध्यम है। इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से व्यक्ति को अपार पुण्य और श्रीविष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


 महत्वपूर्ण तिथियाँ (2025)

  • अपरा एकादशी: 23 मई, शुक्रवार
  • पारण का समय: 24 मई को प्रातः 05:15 AM से 09:47 AM तक

 

 

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