Akshay Tritiya: पितृ दोष करना है दूर तो अक्षय तृतीया पर दान करें ये चीजें, दूर होंगे सभी पारिवारिक कलह
अक्षय तृतीया पर पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए करें ये खास दान। जानिए कौन-सी चीजों का दान करने से पारिवारिक कलह समाप्त होता है और पितरों की आत्मा होती है तृप्त।

Akshay Tritiya: पितृ दोष करना है दूर तो अक्षय तृतीया पर दान करें ये चीजें, दूर होंगे सभी पारिवारिक कलह
अक्षय तृतीया, जिसे 'आखा तीज' के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन पर्व है। यह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इसे अबूझ मुहूर्त कहा जाता है – यानी इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त के किया जा सकता है।
अक्षय तृतीया केवल विवाह, सोना खरीदने या निवेश करने का दिन नहीं है, बल्कि पितृ दोष शांति और पारिवारिक कलह से मुक्ति का भी बेहद असरकारी दिन है। इस दिन कुछ विशेष चीजों का दान करने से जीवन में सुख, समृद्धि और पारिवारिक शांति का मार्ग खुलता है।
आइए जानते हैं कि अक्षय तृतीया का महत्व क्या है, पितृ दोष क्या होता है, और इस दिन क्या दान करने से सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं।
अक्षय तृतीया का महत्व
- ‘अक्षय’ का अर्थ होता है – कभी न समाप्त होने वाला।
- इस दिन किया गया दान, जप, तप, स्नान और पूजा कभी निष्फल नहीं जाता।
- यह दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, भगवान परशुराम और त्रेता युग के आरंभ का प्रतीक माना जाता है।
धार्मिक मान्यता:
- इस दिन गंगा अवतरित हुई थीं।
- भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में अवतार लिया था।
- पांडवों को अक्षय पात्र इसी दिन मिला था।
- महाभारत में युधिष्ठिर को श्रीकृष्ण ने यही उपदेश दिया था कि अक्षय तृतीया पर दान का विशेष महत्व है।
⚖️ पितृ दोष क्या होता है?
पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब हमारे पूर्वजों की आत्मा अशांत होती है या उनके कर्मों से परिवार पर कोई ऋण (कर्मिक देनदारी) बची रह जाती है। इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में निम्नलिखित रूपों में दिखाई देता है:
- विवाह में बाधा
- संतान सुख में रुकावट
- आर्थिक परेशानी
- पारिवारिक कलह
- मानसिक तनाव या अकाल मृत्यु
पितृ दोष के कारण घर में सुख-शांति प्रभावित होती है, और प्रयासों के बाद भी कार्य सफल नहीं होते।
अक्षय तृतीया पर पितृ दोष शांति के लिए करें ये विशेष दान
1. ताम्रपात्र (तांबे के बर्तन)
पूर्वजों को जल अर्पण करने के लिए तांबे का पात्र सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को ताम्रपात्र का दान करने से पितृ तृप्त होते हैं।
2. काले तिल और कुशा
तिल का दान पितृ दोष शांति में बहुत प्रभावशाली माना गया है। काले तिल जल में डालकर पूर्वजों को अर्पित करें और साथ ही इसका दान करें।
3. छाता और चप्पल
गर्मी से राहत देने वाली चीज़ें जैसे छाता, चप्पल, पानी का घड़ा – पितरों की प्रसन्नता के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
4. सफेद वस्त्र और गाय को हरा चारा
ब्राह्मण या वृद्ध व्यक्ति को सफेद वस्त्र दान करें। साथ ही गाय को हरा चारा, गुड़ और पानी देने से पितृ दोष शांत होता है।
5. पका हुआ अन्न, खीर और शरबत का दान
गरीबों या पितृपक्ष में ब्राह्मणों को पका भोजन देना अक्षय पुण्य देने वाला माना गया है।
6. संध्या समय दीपदान
पवित्र नदी या तुलसी के पास दीपदान करें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
पितृ दोष शांति के लिए अन्य उपाय
- पिपल वृक्ष की पूजा करें, जड़ में जल अर्पित करें।
- गाय को रोटी और गुड़ खिलाएं।
- ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ या ‘ॐ श्री पितृभ्यो नमः’ मंत्र का जाप करें।
- पीपल के नीचे हवन या दीपक जलाकर पूर्वजों को स्मरण करें।
पारिवारिक कलह से मुक्ति कैसे मिले?
पितृ दोष केवल पूर्वजों से जुड़ा नहीं, बल्कि हमारे कर्मों और परिवार की ऊर्जा से भी जुड़ा होता है। अक्षय तृतीया पर निम्न उपाय करें:
- घर के सभी सदस्य एक साथ पूजा करें।
- आपसी मनमुटाव को छोड़कर क्षमा माँगें।
- घर में तुलसी का पौधा लगाएं और उसमें घी का दीपक जलाएं।
- घर में श्रीसूक्त या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- गाय, कुत्ते, कौए, और गरीबों को अन्न दान करें — ये पितृ रूप माने जाते हैं।
क्यों है ये दिन इतना खास?
क्योंकि इस दिन किए गए पुण्य बढ़ते ही रहते हैं। यह दिन न सिर्फ पितरों को तृप्त करने का है, बल्कि अपने जीवन को स्थिर, शांत और समृद्ध बनाने का भी अवसर है।
अक्षय तृतीया पर पितृ दोष की शांति के लिए यदि सच्चे भाव से श्रद्धा, सेवा और दान किया जाए, तो न केवल पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है, बल्कि जीवन की अनेक समस्याएं स्वतः दूर होने लगती हैं। पारिवारिक तनाव, आर्थिक बाधाएं और मानसिक क्लेश धीरे-धीरे समाप्त होते हैं।
तो इस अक्षय तृतीया पर शुभ कार्य करें, और जीवन में सुख-शांति के नए द्वार खोलें।
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